________________ गुणस्थानेषु नाम्नो बन्धोदयसत्तास्थानानां भङ्गाः संवेधश्च ठवणा उदयठाणा→ 25 27 28 29 30 31 | उञ्यितिरि... 29 | 1 | 1 || वेउठिबमणु०- 1 | 1 | 1 | 1 | . . | सा. तिरि.- * * * * 144 144 | सा. मणु. * * * * * | 144 0 441| इय संवेहो भन्नइ अट्ठावीसा य तिविह बंधंति / मणुतिरियकम्मभूमग पलिभागिय देसविरया य // 361 // (501) [448] छच्चेव उदय इत्थं दो दो ठाणाडसी य बाणउई / इगतीस न मणुएसु वारस ठाणा उ उदएसु / / 362 / / (502) [446] तह देसविरयमणुया अडवीसा तित्थसहिय उणतीसा / तेणवई उणनवई पंचसु उदएसु पत्तेयं // (503) चारस तह दस सत्ता सव्वे बावीस देसविरयाणं / दुग छच्चउ त्ति गयं // 5 // (इति पञ्चमगुणस्थानके) अन्नो उदयविसेसो सत्तय वेउवि तह य आहारे / चोयालसयं तेरस अट्ठावन्नं सयं 158 संखा // (505) दुगपणचउ त्ति गयं / / 6 / / (इति षष्ठगुणस्थानके) / चउबंधा अपमत्ते अट्ठावीसाइ जाव इगतीसा / 'इक्केक्कभंगमेसिं दो उदया तीसउणतीसा // 363 // (506) [450] इक्केक्कं च विउव्विसु तह 'इक्केक्कं च हारगजईणं / चोयालसयं तीसे अडयालसयं तु पिंडेणं // 364 // (507) [451] संवेहसंतसंखा दो दो उदया उ बंधि पत्तेयं / "इक्केक्क संतठाणं सव्वे अठेव उदएसु ॥३९शा (508) [452] तित्थाहारगसंता हेउसभावा तमेव बंधति / सम्मअपमत्तसंजय इक्केक्कं तेण उदएसु // 366 / / (509) [453] 1.23.4-6 "एक्के” इति L. D. प्रतौ / 5 "हे उसमावे" इति L D. प्रतौ /