________________ सप्ततिकामिधे षष्ठे कर्मग्रन्थे इह पंचसु उदएसु तेणउई 63 तहय होइ उणनवई / इगवीसे 1 छव्वीसे 1 उणनवई संतएगाउ // 380 / / (461) [437] - कहं भन्नइ // इह आहारचउक्कं अविरइ[ए]पत्तो य उव्वलेमाणो / उव्वलइ कमेण तहा पलियासंखंसभागेण // 381 // (462) [438] तित्थयरसंतकम्मी देवा मणु एसु चविउ उववण्णा / नाहारसंतकम्मं बंधाभावांउ इह तेसि // 382 / / (463) [439] इगवीसा छब्बीसा दुन्नि उ उदया सरीरअसमत्ते / उणतीसवंधगाणं सम्मद्दिवीण मणु याणं // 383 / / (494) [440) मणयगईपाउग्गं सुरनेरइया य सम्मदिट्ठी य / अट्ठासी बाणउई नियनियउदएसु दो ठाणा 12 / / 384 // / (464) [441] एवं सुरनेरइया तित्थजुया तीसठाण बंधति / तित्थाहारगसंता जेणं वंधि त्ति उववन्ना // 385 / / (465) [442] मणुगइजोग्गं तीसं सुरनेरइया उ तित्थजुयबंधे / तित्थाहारगसंता जेणं बंधे त्ति उववन्ना . // (465) तेणवई उणनवई उदयं उदयं पडुच्च देवाणं / 13 // निरये नोभयसंता तेणं उणनवइ उदएसु // 386 / / (466) [443) सोलस तह चउवीसा बारसठाणा उ तीसु वि कमेण / . चावन्न संतठाणा अविरयसम्मस्स बंधेसु // 387 // (467).[444] तिअट्टचउ त्ति गयं / / 4 / / (इति चतुर्थगुणस्थानके) अडवीसा उणतीसा बंधा उदया उ चउर वेउव्वे / इगतीसतीसउदया सामन्न देसविरयाणं // 388 // (468) [445) पुवुत्तवंधभंगा उदयविगप्पा उ सरखगइ चरिया / संधयणतहागिहया चोयालसयं तु पत्तेयं // 38 / (466) [446] तीसोदयम्मि तिरिमणु इगतीसे तिरियदेसविरयाणं / 'पणुउदयतिरिविउव्विय 5, चउरो मणुयाण४ इवकेक्क 441 // 360 // (500) [447] १.पण" इति L. D. प्रतो।