________________ गुणस्थानेषु नाम्नो बन्धोदयसत्तास्थानानां मङ्गाः संवेधश्च [.1 संवेहो बंधेसु उदयं उदयं पडुच्च दो ठाणा 9299 / अडवीसि दुअंतिल्ला इयरे 'उणतीसउदओ उ // 366 / / (479) [426] __एवं संतट्ठाणा 6 // दुगतिगद्गं ति गयं // 3 // (इति तृतीयगुणस्थानके) तिगबंधठाण अजए अडवीसु गुतीसु तह य तीसा य / थिरसुभजसइयरेहिं भंगा अट्ठट्ठ पत्तेयं // 370 / / (480) 427] अट्ठ उ उदयट्ठाणा जे पुव्वुत्ता उ बंधि अडवीसे / उदयविगप्पा सव्वे जे जेसिं हुंति संभविया / / 371 / / (481) [428] चउगई उ पडुच्च संतठाणसामित्तसंभवमाह-- संतट्ठाणा चउरो. पढमा तेणवइ मणुयदेवाणं / अपमंत्तसंजओ बंधिऊण अजसो मणुस्सदेवो वा // 372 / / (482) [426] तं च कहं अपमत्तो अपुवकरणो य पंधि इगतीसं / परिवडिऊण असंजय मणुओ देवो व मरिउ उववन्नो // 373 / / (483) [430] चाणउइ संतकम्मी आहारग बंधिऊण चउगइया / ते उव्वलिंति अजया अणउव्वलिए य चाणउई // 374 / / (484) [431] उणनवइ / देवमणुए नेरइयाणं च सम्मदिट्ठीणं / तिरिए न तिन्थसंता निरिमणुमिच्छाण अंतमुहू // 375 / / (485) [432] अडसीइ संतठाणं चउसु वि गईसु सम्ममिच्छाणं / मणुतिरियाणं सेसा जा जस्स य होइ संभविया // 376 // [433] तेरसहीणा चउगे पढमाइकमेण खवगाणं // (486) मव तिथि अट्ठ केवलि सत्ता पयडी अजोगिगुणठाणे / छासी तह सीई तिरिमणु अत्तरि गइतसाणं च // (487) संवेहो भन्नइ / / अट्ठावीसे बंधे अट्ठ उ उदया उ संत दो ठाणा / / अट्ठासी बाणउई दुग दुग पत्तेय उदएसु 16 // 377 / / (488) [434] उणतीसवंधगाणं सामन्नेणं त सत्त उदया उ / इगतीसं वज्जेता निग्यिाण र मण्यपाउग्गा // 378|| (489) [435] दुविहोणुतीमबंधो मणगडपाउमा तह सुराणं च / देवगईपाउग्गं मणया संधति तित्थजुयं // 376 / / (490) [436] १"तिन्नेव" उदया उ” इति J. पनो कयामा / 2 "य" इति J. प्रतिप्रेसकोप्याम् /