________________ सप्ततिकामिधे षष्ठे कर्मग्रन्थे परिवडिउं मिच्छत्तं तह गच्छद चउसु वि गईसु // (465) मिच्छत्तगओ तिन्नि वि सम्मं मीसं च हारचउपयडी। उव्वलिउं आढवई उचलइ च संखपल्लंसे // (466) छव्वीससंतकम्मी पुण स च करणेहिँ उवसमं पावे / तस्संते अणउदए सासायणभाव गच्छेज्जा / (467) आहारचउव्वलिए अट्ठासी संतकम्म णामस्स / अहवा वि पढमसम्मे. अंते साणो व अट्ठासी // (468) अन्नेसि मयं तिन्निवि उव्वलियं आढवेइ समकालं / उव्वलइ कमेण तहा पल्लासंखंसभागेण // (466) उव्वलिए दिद्विदुगे हारगसंतम्मि उव्वलियपाए / इत्थंतरम्मि उवसमकरणेहिं उवसमइ पावं // (470) तस्संते अणउदए पढमं साणो व बुच्चए सो च / / बाणवइसंतकम्मं साणे तिरियाण न विरोहो // (471) जे उणतीसं बंधहि सासायणमणुयतिरियपाउग्गं / . अडसीइसंतठाणं सत्तसु उदएसु तह 'तीसे // 362 / / (472) [416] नव तिरिपाउग्गं उज्जोयसहियं तु बंधमाणाणं / , तिगअट्ठअट्ठठाणा सव्वे उणवीस पिंडेण // 363 // (473) [420] उणतीसतीसवंधे नियनियउदएसु संत बाणउई / पुव्वं व भणियविहिणा तिरिमणुय मयंतरेणेह // 364 / / 474) [421] तिगसत्तदुगं ति गयं / / 2 / / (इति द्वितीयगुणस्थानके) उणतीसअट्ठवीसा बंधे उदएसु तीसउणतीसा / तह एगतीस उदए दो ठाणा संत मीसस्स // 365 / / (475) [422] बंधेसु भंगसोलस उदए चउतीस होंति पणसट्ठा / 3465 / भंगा इह संभविया चउगइयाणं च पज्जाणं // 366 // (476) [423] एगं अट्ठ य भंगा नारयदेवाण अउणतीसम्मि / तेवीसं चउरुत्तर 2304 नरतिरियाणं च तीसुदए // 367|| 477) [424] इगतीसा तिरियाणं तिरिय विगप्पा इकार बावन्ना / 1152 / एवं चउतीससया पणसट्ठा मिस्सभंगाणं // 368 // (478)[425] 1 "तीसि” इति L. D. प्रतौ / 2 "हुँति” इति L. D. प्रतौ / “य कार” इति J. प्रतिप्रेसकोप्यां