________________ गुणस्थानेषु मोहनीयस्योदयस्थानभङ्गाः मोहनीयस्योदयस्थानमङ्गाःएक छडेक्कारेकारसेव इकारसेव नवतिनि / एए चउवीसगया पारदुगे पंच एगम्मि सूत्रम्-४६॥ (376) [345] पोरसपण सहिसया उदयविगप्पेहि मोहिया जीवा। "चुलसोयसत्तसत्तरिपयविंदसएहि विन्नेया ॥सू-०॥ (377) [346] ___ गुणस्थानके षु मोहनीयोदयस्थानमङ्गाःअहगचउचउचउरडगा य चउरो य 'होति चउवीसा / मिच्छाइ अपुवंता पारसपणगं च अनियटी ।।सू.-०॥ (378) [347] दसगम्मि एग मिच्छे तिग तिग नवअट्ठगम्मि सत्तेगा / एगदुग एग साणे नवअट्ठगसत्तगे कमसो // 268 // (376) [348] तह मीसगम्मि एवं अविरयसम्मे छडेग चउवीसा / तिगतिग सत्तग अट्ठग एगा नवगम्मि बोधव्या // 299 // (380) [349] पंचोदयम्मि एगा तिगतिग छस्सत्तगे य अठेगा / देसविरयम्मि एवं अट्ठग चउवीस उदएसु // 300|| (381) [350] चउरोदयम्मिएगा तिग तिग पणछक्कगम्मि सत्तेगा / संजयपमत्तउदए अपमत्ते तह य एवं तु // 301 / / (382) [351] अप्पुव्वे चउरेगा पणगे दो छक्कगम्मि एका उ / मिच्छाइ अपुव्वंते बावन्ना सन्बचउवीसा // 302 / / (3-3) [352] चउवीसगुणा एए बारस अडयाल हुँति मोहुदया / दुग एग उदयभंगा नवमे ते जाण सोलसगं // 303 / / (384) [353] बंधोवरमे सुहमे एगुदओ लोभसुहुमकिट्टीणं / इय सव्वुदयविगप्पा बारसपणसह मोहस्स // 304 / / (385) [354] आह कह एक उदए 'हेट्ठा एक्कारभंग नणु वुत्ता / इह पुण पंचेव कहं पुब्बिं बंधो इहं उदओ // 305 / / (386) [355] जे बंधइ ते वेयइ बंधविवक्खाइ भंगएक्कारा / उदयविवक्खाइ पुणो एक्कुदए पंच भंगा उ // (387) * ठवणा-पेज नं० 56 // 1. "छडिक्का०" इति L.D. प्रतौ / 2. "एक्कम्मि” इति L.D. प्रतौ / 3. “सट्ट०" इति L. D. 'प्रतौ / 4 “चुलसीइ सत्तुत्तरिपय०" इति / 5 "हुति" इति वा / 6 "उवरिं" इति L. D. प्रवौ /