________________ 62] सप्ततिकाभिधे षष्ठे कर्मग्रन्थे अट्ठी 'पत्तीसा पत्तीसा सहिमेव बावन्ना / चोयाल दोसु 'वोसा मिच्छामाईसु सामन्ने ॥सू.-०॥ (388) [356] मिच्छे जो चउवीसा उदयगुणा ते उ मिलिय अट्ठी / बत्तीसाइ कमेणं एस गमो जा अपुते // 306 / / (386) [357) "एए सव्वेगट्ठा चउवीसाए गुणित्तु कयरासी / उणतीसभंगसहिया चुलसी सतहत्तरा एवं // 307 // (360) [358] ठवणा-पेज नं०६०॥ जोगोषओगलेसाइएहि गुणिया हवंति कायया / जे जत्थ गुणहाणे हवंति ते तत्थ गुणकारा ॥सू.-४७॥ (361) [356] 'मोहुदयजोगपयविंदाणं च विवरणमाहमोहुदयपयविगप्पा गुणि(आ) गुणठाणजोगसंखाए / सामन्नं नव जोगा सव्वेसिं अहिय केसिंचि // 308|| (362) [360] नव गुणिया उदयपया इक्कारसहस्स तिन्नि पणसीया 11385 / अन्ने वि चउर जोगा मिच्छे साणे य सम्मम्मि // 309 / / (353) [361] तह मीसपमत्तेसु एगो दो जोगअहियया कमसो / . इत्थ वि लद्धविगप्पा खेप्पिज्जा पुन्वरासिम्मि // 310 / / (364) [362] वेउव्विय तह वेउब्विमीसओरालमीसकम्मइया / मिच्छम्मि सासणम्मि य अविरयसम्मम्मि ए अहिया // 311 // (365) [363] अडचउवीसा वेउव्वियम्मि चउचउरसेसतिगमिच्छे / अणउदयरहियउदया न होंति सत्ताइनवगेसु // 312 / / (366) [364] जओ 'वुत्त। अणउदयरहियमिच्छे जोगा दस कुणइ जं न सो कालं / अणणुदओ पुण तदुवलग सम्मदिद्विस्स मिच्छुदए // 313 / / (367) [365] सासणमीसे चउरो वेउव्वियजोगि दुसु य पत्तेयं / तह उरलमीसकम्मणि सासणभावम्मि चउचउरो // 314 // (368) [366] वेउन्विमीसनरए अहोमुही नेव सासणो गच्छे / देवा न संढवेया विउव्विमीसम्मि नपुऊणा ||315 // (366) [367] 1 "बत्तीसं बत्तीसं'' इति। 2 “वीसा वि अमिच्छमा०" इति। 3 "एसव्वे एगत्या" इति L. D. प्रतौ J. प्रतिप्रेसकोप्यामपि / 4 “अयं पाठः J. प्रतिप्रेसकोप्यां नास्ति, किन्तु L. D. प्रतावस्ति / 5... 'हुन्ति' इति L. D. प्रतौ। 6 "वोत्तं" इति L. D. प्रतौ /