________________ गुणस्थानकेषु दर्शनावरणीय-वेदनीय गोत्रा ऽऽयुषां बन्धोदयसत्तास्थानभङ्गाः [57 संजयपमत्तठाणाउ जा चरिमो सुहुमरागसमओ उ / 'बंधोदयम्मि उच्चं संता दुस उच्चनीयाणं / / 292 / / (363) [334] उवरयबंधे उच्चं उदए संताइ दो वि जाजोगी / अज्जोगि 'चरमसमए "उदए संता य उच्चस्स // 263 / / (364) [335] ___ गुण थान कष्वायुषो बन्धादिस्थानमगाःअट्ठच्छाहिगवीसा सोलस वीसं च बार छद्दोस / दोचउसु तीसु एक्क मिच्छाइसुआगे भंगा।।सू.-०।। (366) [336] अट्ठावीसं 28 पढमे 26 बीए नरयाउ नरतिरि न बंधे / तइए बंधविवज्जा 16 चउत्थए वीस इय होति / / 294 / (367) [337] अविरयसम्मा जीवा तिरिमणु देवाउ[एक]मेव बंधति / नारयसुर मणुयाउं अट्ठ उ भंगा असंभविया // 265 / / (368 [338] 'नरतिरियदेसविरया देवाउं एकमेव बंधति / 'पुव्वुत्ता दस जुत्ता भंगविगप्पा उ बारस उ / 266 // (369) [339] मणुसरिस पमदत्तियरे 6 उवरि मणुउदयमणुयसंताओ / खवगे पडुच्च एगं वि य सेढी चउसु सुरसंता // 267 / / (370) [340] गुणठाणा * मि० सा० मी० / अ० | दे० | प० |ऽप० | "ठवण णारण०|नानावरण है |उदय 4/5 4/5 4/5 4/5 4/5 4/5/4/5] विदनीय भंगा| 4 | 4 4 | 4|44| 2 | आउय० |भंगा| 28 | 26 | 16 | 20 | 12 | 6 6 1 "बंधे उदए" इति L. D. प्रतौ / 2 “दो'' इति L. D. प्रतौ / 3 "सत्ताए” इति L. D. प्रतौ / 4 "चरिम०" इति L. D. प्रतौ / 5 "उदओ" इति L. D. प्रतौ / / "बन्धामावा" इति L D. प्रती। 7 "हुंति" इति L. D. प्रतौ / 8 "अविस्यसम्मा [जीवा] तिरिमणु देवाउं एगमेव" इति L. D. प्रतौ / है "पुव्वुत्तदसं जुत्तं" इति L. D. प्रतौ / 10 'मणुभंग" इति L. D प्रतौ / 11 इदं यन्त्रं L D. प्रतावस्ति, J. प्रतिप्रेसकोप्यां नास्ति।