________________ सप्ततिकाभिधे षष्ठे कर्मग्रन्थे तित्थूणा बाणउई तेणउई चेवहारचउऊणा / सत्ताए गुणनउई अट्ठासी होइ तित्थूणा // 182 / / (225) [210] नेरइयसुरदुगाणं एगयरूव्वलणि होइ छासीई / 'तत्तो विउव्विचउसुरदुगाण आसीइ उव्वलणो // 183 / / (226) [211] मणुदुगउव्वलणेणं अत्तरि तेउवाउसंतमिणं / पढमचउक्का तेरस-खएण चत्तारि खवगस्स // 184 / / (227) [212] साहारसुहुमचउजाइ थावरं आयवं च निरयदुगं / तिरियदुर्ग उज्जोयं तेरस अनियट्टिवोच्छेए // 185 // (228) [213] मगुयगडजाइतसवायरं च पज्जत्तसुभगआएज्जं / जसकित्ती तित्थयरं अजोगि जिणसंति नव होति // 186 / / (229) [214] ता तित्थूणा अट्ठ उ केवलिसामन्नसंतए होति / 'इत्तो वंधुदयाणं संतवाणाण संवेहो // 187 / / (230) [215] बंधुदयसंतठाणा एगत्थ परूविया वि सव्वत्थ / न विसेसो पगईसु कायव्वो ठाणमासज्ज // 188|| (231) [216] नाम्नो बन्धोदयसत्तास्थानानिनव पंच उदयसंता तेवीसे पनवोस छन्वीसे / , भहपउरडवीसे "नवसतुगुतीसतीसम्मि ।।सूत्रम्-३१।। (232) [217] ठवणा | बन्ध. 23/25/26/28/2630 उदय० | सत्ता. 55547 तेवीस पन्नवीसा छब्बीसुणतीसतीस बंधम्मि / नव नव उदयट्ठाणा वीसा नव अट्ठ 'मोत्तूणं // 189 / / (233) [218] ठवणा-२१, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30,31, इगिविगला सविगप्पा तिरिमणु सामन्न तह सवेउव्वा / नियनियउदयविगप्पेहिं सव्वे बंधति संभविया // 190 / / (234) [216] 1 "णिरसुरदुगचउविलियमद्रासी भसीइ उठवलणे // (226)" इति L. D. प्रतौ। 2 "हुंति" इति L D प्रती।३"एतौ" इति L. D. प्रतौ। 4 'मगि गुण ती" इत्यपि। 5 "बंधेसु इति L..D. प्रतौ। 6 "मुत्तूणं' इति L D. प्रतौ।