________________ 30.] सप्ततिकाभिधे षष्ठे कर्मग्रन्थे छच्चट्ठ अट्ट अट्ट य एगो एग तह एग सगवीसे / एगिदिविक्कितिरिनरसुरनारयतित्थआहारे // 168 // (210) [165, छक्कं पणसयछावत्तराई दुसु तह य दुसु य सोलसगं / नव दुग एगं भंगा अट्ठावीसम्मि उदयम्मि // 166 / / (211) [196] विगलतिरिमणुयदेवा तिरिनरवेउव्विहारनेरइए / इह बारसय दुरुत्तर मिलिया एगत्थ पिंडेणं // 170 // (212) [197] एक्कारस वावना छावत्तरपंच 'दुसु य सोलसगं / नवबारसदुगभंगा इक्केक्ककमेण उणतीसे // 171 // (213) [198] तिरिनरदेवा तिरिनर वेउव्वियविगलहारगजईण / . तित्थे नाग्यकमसो मिलिया सत्तारपणसीया // 172 / / (214) [196] सतरस सय अडवीसा अट्ठारस तह इगार बावन्ना / अट्ठट्ट एग एगं तह एगं तीसउदयम्मि // 173 / / (215) [200] तिरिविगलमणुयदेवा तिरिनरवेउव्विहारतित्थयरे / इय मिलिया भंगाणं उणतीससयाउ 'सत्तरस / / 174 / / (216) [201] एक्कारस बावन्ना बारस एक्को य भंग इगतीसे / / तिरिविगलतित्थमिलिया सव्वे पणसट्टडकारा // 175 / / (217) [202] वीस नव अट्ठ उदएसु भंग मेक्केक्क ते य केवलिणो / इय संखा उदएसु बारससु कमेण पत्तेयं // 176 / / (218) [203] वायाला छावट्ठी उणवण्णसया छलुत्तरविंगप्पा / इगिविगलतिरिपणिदिसु छव्वीस दुरुत्तरा मणुए // 177 / / (216) [204] चउसट्ठी पण सुरनारयाण छप्पण्ण तिरियवेउव्वे / पणतीस मणुविउव्विसु सत्तट्ट य हारकेवलिणो ||178 / / (220) [205] इय सव्वुदयविगप्पा एक्काणउया सया उ सगसयरी 7761 / एत्तो संतढाणा ते वारस होति नामस्स // 179 // (21) [206] - "दुदुसु" इति J. प्रतिप्रेसकोप्यां किन्तु स सम्यग् न भाति / 2 "विउवि तह विगलः' इति जे प्रतिप्रंसकोप्याम् / 3 “सत्तारा" इति L D. प्रतौ / 4 "एक्कारा' इति L. D. प्रतौ / .5 "एक्केक्कु” इति L. D. प्रतौ। --