________________ ठवणा आहारग० नाम्न उदयस्थानेषु मङ्गाः तिरियसरिच्छा जेणं दुभगऽणाइज्ज अजसपयडीओ / अविरयवोच्छिन्ना ते न तेसि उदओ जईणं तु (202) एवं जइवेउव्वे नवरं उज्जोयभंगया तिण्णि / सेसा उ मणुयगहणे नेरइयअसुद्धपंचेव // 163 // (203) [188] उदयः | 21 | 25 27 28 29 30 सम्वे आहारग० * | 1 | 1 | 22 | 1 | . जति० 0 | 1 | 1 | 2 | 2 | 17 | नारकिय० | 1 | 1 | 1 | 1 | 1 | * | r | नाम्न उदयस्थानानां भङ्गाःएगबियालिकारस तेत्तीसा छस्सया प तेत्तीसा / पारससत्तरससयाणऽहिगाणि'विपंचसोईहि ।।सू.२७॥ (204) [186] 'उणतीसेक्कारसयाणऽहिगा सत्तरसपंचसहोहिं / एक्केक्कगं च वीसादडुदयंतेसु उदयविही ॥सू.-२८॥ (205) [190] ठवणा | भंगा| 1 42 | 11 | 33. (600 33 1202 / 178526174165 1 | 1 | एएसिं विवरणं- . पण नव नव नव अट्ठग एगं एग इह उदयइगवीसे / . इगिविगलतिरियमणुए सुरनारयतिथि बायाला ||164 // (206) [161] छच्चत्तारि य एगं वायरसुहुमे य पवणवेउव्वे / एगिदियाण भंगा एक्कारस होति चउवीसे // 165 / / (207) [192] सत्तऽड अट्ठ अट्ठ य एगो एग तह उदयपणवीसे / / एगिदिसुरविउव्वियतिरिमणुआहारनेरइए // 166 / / (208) [193] तेरस नव इगि विगले दोसय उणनउय मणुय तह तिरिए / छच्च सया छव्वीसे उदए भंगाण एगत्थ // 167 // (206) [164] 1 “दुपंच०" इत्यपि / 2 "उणतीसिकारस” इत्यपि / 3 “हुँति” इति L. D. प्रतौ /