________________ 28 ] सप्ततिकामिधे षष्ठे कर्मग्रन्थे केवलितित्थवरठवणा-१ | उदय.. | 20 | 21 | 26 27 28 29 30 31 | 9 | 8 | भंगा केव० | 1 | 0 (6) (12) (12) * (24) | | | 1 2(56) तित्थ. . . . | 1 |*| 1 | 1 | 1 | 10 | 6 , भगणाइज्जाजससेयरमिलिएहिँ अट्ठ उ विगप्पो / पत्तेयं पत्तेयं उदएसु छसु वि देवाणं // 159 // (168) [184] | दूमग | दुभग | दुभग | दुभग | सुभग सुभग | सुभग | सुभग অলসল আল | আল মলাস্থলমাল মাহুল মাল अजस जस अजस | जस अजस जस | अजस | जस ठवणा सासुज्जोएगयरे तह सरउज्जोयएगयरसहिया / अट्ठावीसुणतीसे दुगुणा चउसट्ठि सव्वे वि // 160 // (191) [185] एवं विउव्वितिरिए इगवीसूणेसु भंगछप्पन्ना / तह मणुए वेउव्वि य उज्जोयविणा उ बत्तीसं // 161 // (200) [186] उज्जोयरहियतीसा मोत्तणं चउसु उदएसु। | उदय०- 21 25 | 20 28 29 30 सव्वे | | देवभंगा 888 | 16 | 16 | 8 | 64 वेउव्वियति. * - 8 | 16 | 16 | 8 | 56 | ठवणा आहारगउदएK भंगा सत्तेव तिरियसारिच्छा / आहारदुर्ग खिविउं वेउव्विदुगं तु अवणेहिं // 162 / / (201) [187] 1. J. प्रतिप्रेसकोप्या 27-28 उदयम्थानद्वये केवलिसत्का मङ्गा न दर्शिता / L. D. प्रतौ पुनः 6-6 षड् षड् मङ्गा दर्शिता / तथा ऽप्यत्रा-ऽन्यतरविहायोगतरुदयत्वाद् द्वादशानां मङ्गानां सम्भव इति हेतोदश भङ्गा निरूपिताः, तथैवा-ऽन्यत्र दर्शितत्वात् /