________________ 16 ] सप्ततिकामिधे षष्ठे कर्मग्रन्थे / सत्ताठाण गुणटुण पमत्तः अपमत्त | अपुव्व। अनियति अनियट्टि० सु उ० 8 | बंधटाण. 0 उदयट्ठाण 24 सत्ताट्ठाणाणि सव्वाणि | 17 / 17 / / | 2743 132 गुणठाणगउदएसु संतढाणाण संख इय वुत्ता / ' गुणठाणगपत्तेयं, 'सव्वसंखा य इय भणिमो // 8 // (118) [108) दसतिगनवमिच्छाइसु, अजयाई पंचगम्मि सगसयरी / छच्छक्क पणचउक्कम्मि पणपण सेसेसु चउतिग अबंधे / / 89 // (16) [106] 'मोहे संवेहभणणा तेत्तीससयं तु संतठाणाणं / गुणठाणगे पडुच्चा बंधे पुग अढनउई . य // 90 // (120) [110] दसतिगवीसा सत्तरस दुसु य पत्तेय संतठाणाई / सगवीस पंचगाई चउर अबंधम्मि य ठाणाइं // 91 / / (121) [11.1) सगवीस मीसगम्मी सेसा सामन्न चउसु उदएसु / इय अजयमीसगाणं वीसं सत्तरसबंधम्मि // 92 / / (12) [112) दसनवपन्नरसाई पंधोदयसंतपयडिठाणाणि / भणियाणि मोहणिज्जेएसोनामं परं वोच्छं // 2023 / / (123) [113]. 1 "स०संखं” इति L. D. प्रतौ / 2 "मोहसंवे” इति उ. प्रतिप्रेसकोप्याम् / 3 : नवई // 120 // " इति L. D. प्रतौ।