________________ मोहनीयस्य बन्धस्थानेषु सत्तास्थानानि गुणस्थानानि प्रतीत्य बन्धोदयसत्तासंवेधश्च [15 * 'जत्थ न विरईभावो ते वि य मणुखवगआयाआ / / 80(509) [99] अडचउइगेण अहिया वीसा अप्पुचि तिसु य पत्तेयं / उदएसु सत्ताओ, बायररागे अओ वोच्छं // 8 // (110) [100 पंचविहचउविहेसु छछक्कसेसेसु जाण पंचेव / पत्तेयं पत्तेयं चत्तारि य पंधवोच्छेए सूत्रम्-२२।। (111) [101. पणगाइ५,४,३,२.१एगु संते तह य अबंधम्मि तिन्नि पत्तेयं / चउरट्ठइक्कवीसा 24,28, २१,उवसमसेटिं पडुच्चेए / .82 / (112) [102] इगवीसा खवगम्मि वि पणगे बंधम्मि किंचि कालमिह / मज्झिलट्ठकसाएक्खय तेरस १३नपुमि बारसगं 12 // 83 / / (113) [103] थीवेयखीणिगारस पणगे किंची चउक्कवंधेवि / हासाइखीणि पणगं चउरो पुरिसम्मि चउबंधे // 84 // (114) [104] तियबन्धे वि य संता संजलणचउक्क आवलिदुगूणा / कोहे खयम्मि तिन्नि उ ते चेव दुगम्मि खणमित्तं / / 85 / / (115) [105] माणे खयम्मि तिन्नि उ तत्थेव दुगम्मि जाव अंतमुहू / ते चेव एक्कबंधे जाव न खीणा तिजयमाया // 86 / / (196) [106] मायाए खीणाए लोभो बंधम्मि लोभसंता य / / अब्बंधम्मि वि लोभो सव्वे तियजुत्तठाणाइं // 87 // (117) (107] सत्ताठाण गुणट्ठाण | मिच्छद्दिटि.| सासण बन्धट्ठाण 22 / 21 / 17 / 17 / 13 उदयट्ठाण मिस्सा अविरय० सविरय० 17 [vl | >> | " | " | " / सत्ताठाणाणि . 23 / / सव्वाणि 10 / 3 1 "तत्थ" इति L. D. प्रतौ / 2 "चउअट्ठएकक" इतिL. D प्रतौ। 3 “लोभे” इति L. D. प्रतौ।