________________ 10 ] सप्ततिकाभिधे षष्ठे कर्मग्रन्थे / एगद्गएगकमसो चउरो चउरो च पत्ते // (61) छलउदयम्मी एगा भय-कुच्छा-सम्मखेवएगयरे / सत्तोदयम्मि तिन्नि उ, दुग-तिगपक्खेव मिच्छसमा // 40 // (62) [56] पत्तेय अट्ठ अट्ठ उ अविरय-देसे पमत्त-अपमत्ते / अप्पुव्वे पुण चउरो, सव्वे बावन्नमिच्छाई // 41 // (63) [57] चोयगो आहअणउदयरहियमिच्छो कम्मि जिए कित्तियं च से कालं / आह-तदुवलगसम्मदिहिस्स मिच्छुदयआवलियकालं // 42 // (64) [58] चउवीससंतकम्मी, मिच्छत्तगओ अणंतिणो बंधे / मुत्सु अबाहाकालं तदु उवरि निक्खिवे दलियं // 43 // (65) [56] .' कहणंतवंधिउदओ आवलियाउवरि बुच्चए एवं / सव्वं पडिग्गहते अन्नकसायाण संकमणे // 44 // (66) [60] जं पढमसमयदलियं, संकेतं तं च आवलियउवरिं / उदयंसे आगच्छइ, तम्मी से अट्ठ उदओ उ ॥४शा : (67) अन्नं च तम्मि समए, उदीरणोवट्टणागयं दलियं' / उदयम्मि खिवइ जीवो, अणंतिणो तेण आवलिआ // 46 // (68) [62] तं चेव सत्तगं भय-दुगुच्छ अणसहिय अट्ठनवदसगं / / इत्थं चउवीसा होति तिन्नि तन्नेग जहसंखं // 47 // [13] चउवीसा पुन्वकमा कमेण उदएण जहसंखं // (69) पुव्वुत्तसत्तगा मिच्छफेडणे खेवणे यऽणंताणं / सत्त य सासाणे तह-ऽड नव य भयकुच्छपवखेवे // 48 // (70) [64] वेयतिकसायमीसं, जुयलन्नयरेण सत्त मीसम्मि / भयकुच्छाणन्नयरे, एगदुगेणं च अट्ट नव // 49 // (1) [65] तिगसंपराय 3 वेयं 1 जुयलनयरेण छच्च पयडीओ / भयकुच्छसम्मखेवे अविरयसत्तऽद्ध नव होति // 50 // (72) [66] अजउदयठाणचउरो (व्व) देसविरए य सव्वविरए य। नवरं कसायहाणी एक्केक्कं जाण जहरखं // 51 // (73) [67] . 1 "हुति" इति L. D. प्रतौ 2 "अजउदयट्ठाणा तह चउरो देसे य” इति L. D. प्रतौ।