________________ मोहनीयस्य सत्ताग्थानानि, बन्धस्थानभङ्गाः, बन्धस्थानेषूदयस्थ न नि, उदयस्थानभङ्गाश्च [ / मिच्छाइ पमत्ता जुयलगया वेयभंग उठेति / वुच्छिन्न अरइसोगा पमत्ति उवरिं तु एगेगो // (52) __'एवं गुणट्ठाणगेसु बंधभंगा / 25 / इयाणिं उदयठाणागं उदयगविवरणमाह मोहनीयस्य बन्धस्थानेषूदयस्थानानिदस बावीसे नव इगवीसे सत्ताइउदयठाणाणि / छाई नव सत्तरसे तेरे पंचाइ अठेव |सूत्र-१५॥ (53) [48] चत्तारि आइ नवपंधएसु उक्कोस सत्त उदयंसा / .. पंचविहर्षधए पुण, उदओ दोण्हं मुणेयव्वो।सूत्रम्-१६॥ (54) [46] एत्तो चउबंधाई, एककुदया हवंति सव्वे वि / पंधोवरमे वि तहा,उदयाभावे वि वा होज्जा // 0-17|| (55) [50] ठवणा मिच्छ-तिकसाय वेयं, जुयलन्नयरेण 2 सत्तगं तत्थ / वेयतिग-चउकसाए, जुयलम्नयरेण चउवीसा // 35 // (56) [1] वेएसु चउकसाया, कोहाइकमेण उदयओ होति / एक्केक्कम्मि चउचउरो, तिग-चउगुणिया उ बारसगं // 36 // (57) [52] ते हास-रईउदए, अरई-सोगपरियत्तउदए वा / दो मिलिया चउवीसं, 'उदयगया मोहणीयस्स ||37 / / (58) [53] ... एवं सव्वत्थ चउवीसिया चारणा / सत्तोदयम्मि एगा, अण-भय-कुच्छाण एगयरखेवे / अठ्दो तिन्नि तहिं, दुगसंजोगम्मि तह नवए // 38 // (56) [54] तिगपक्खेव दसेगा, चउसु वि उदएसु अट्ठ चउवीसा (मिच्छे)। सासणमीसे तिगतिग भयकुच्छदुगेहि चउचउरो // 39 // [55] तिगपक्खेव दसेगा चउसु वि उदएसु अट्ठचउघीसा / मिच्छम्मि गुणट्ठाणे सेसगुणाणं च एस कमो // (60) तिगतिग उदयट्ठाणा सासणमिस्से य सत्तअडनवगं / 1 अयं पाठ: J. प्रतिप्रेसकोप्यां नास्ति, L. D. प्रतौ चास्ति / 2 "उदयकम्मंसा" इति / / 3 "उदयविगमा य मोहस्स / / 58 // " इति L D प्रतौ /