________________ मार्गणास्थानेषु गुणस्थानानि योगाश्च वेयग खड्ग उवसमे चउरो एक्कारसह तुरियाई / सेसतिगे सहाणं सन्निसु चउदस असनिसु दो // 32 // (राम०) वेयगसम्मद्दिहिस्स चत्तारि-अविरयसम्मद्दिट्ठी देसविरओ पमत्तो अपमत्तो य / खाइगसम्मदिद्विस्स एगारस-अविरयसम्माओ जाव अजोगिगुणट्ठाणं / उवसमसम्मदिद्विस्स अट्ठअविरयसम्मत्ताओ जाव उवसंतगुणट्ठाणं, अट्ठ गुणट्ठाणा उवसमसम्मत्ते / तत्थ अविरय-देशवि. रय-पमत्त-अपमत्ता उवसमसेटिं आरहंति, कहं उवसमसम्मत्तं ? भन्नइ-मिच्छट्टिी अनियट्टिकरणडिओ तहाविहविसुद्धिसमनिओ उवसमसम्मत्तं चउण्हमेगयरं च पडिवज्जेइ। अविरओ देसो पमत्तो अपमत्तो वा / एवं उवसमसम्म / उक्तं च“सोलस मंदणुमागं संजमगुणवढिओ जयइ / सोलस थीणगिद्धितिगमिच्छत्तपढमकसाया // " . 'सेसतिगे सहाण' मीसे मीसं, सासायणे सासायणं, मिच्छे मिच्छत्तं / सन्निपंचेंदिया चउद्दस वि गुणट्ठाणा / असन्निस्स दो-मिच्छद्दिट्ठी सासायणो य / / 32 / / आहारगेसु पठमा तेरसणाहारगेसू पंच इमे / 'पढमतदुगअविरया इय गइयाईसु गुणठाणा // 33 // __ (राम०) आहारगेसु सव्वे अजोगिकेवलिवज्जा तेरस / अणाहारगेसु पंच इमे पढमा दो-मिच्छ.. विट्ठी सासायणो य, अंतिमा दो-सजोगिकेवली समुग्धाए अजोगिकेवली य, अविरयसम्मट्टिी पंचमो य, विम्गहगईण पढमविग्गहं मोत्त। - गइयाइसु बासट्ठिभेएसु इय भणियपयारेण गुणठाणा 'मग्गियत्ति सेसो // 33 / / इयाणि जोगा मग्गिजंति / अओ पढमं ताव ते निदंसेइ सच्च मोसं मीसं असच्चमोसं मणं तह वई य / उरलविउव्वाहारा मीसा कम्मइगमिय जोगा // 34 // (राम०) पुष्वभणिया जोगवियारणा इह दट्टव्वा / / 34 // एकारस सुरनार यगईसु आहारउरलदुगरहिया / जोगा तिरियगईए तेरस आहारगदुगुणा // 35 // (राम०) देवगईए निरयगईए एक्कारस जोगा, ओरालियदुगआहारदुगाणं एएसि असंभवाओ। तिरियगईए तेरस जोगा, आहारगदुगस्स असंभवाओ // 35 // .1 "मग्गिया।" इत्यपि।