________________ 14 ] षडशीतिनाम्नि चतुर्थे कर्मग्रन्थे मसुयगईए चउद्दस वि / सव्वेसिं अहिगारि त्ति काउं / एगिदिय-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदियागं दो दो गुणट्ठाणा-मिच्छद्दिट्ठी सासायणो य। सासणस्स पुव्वुत्तो विही / पंचिदिएसु चउदस बि / मणुस्साणं अंतभावाओ // 27 // भूदगतरूसु दो एगमगणिवाऊसु चउदस तसेसु। जोए तेरस वेए तिकमाए नव दस य लोभे // 28 // (राम०) भू–पुढवी दग-आयुकाओ तरुचणस्सइकाओ एएसिं दो गुणट्ठाणामिच्छद्दिट्ठी सासायणो य / तेउकाए वाउकाए एगो मिच्छद्दिट्टी, तेसिं गुणांतरअसंभवाओ। तसकाए चउदस वि / मणुयगइअंतब्भावओ / जोए-जोगतिगे तेरस गुणट्ठाणा अजोगिवज्जा। वेए वेयतिगे तिकसाए-कोहे माणे मायाए एएसिं छण्हं पढमा नव गुणट्ठाणा / लोभस्स एएं नव, दसमो सुहुमसंपराओ // 28 // मइसुयओहिदुगे नव अजयाइ जयाइ सत्त मणनाणे / केवलदुगंमि दो तिन्नि दो व पढमा अनाणतिगे // 29 // (राम०) मइनाणं सुयनाणं ओहिनाणं ओहिदरिसणं एएसिं चउण्हं नव गुणट्ठाणाअविरयसम्मत्ताओ आरम्भ जाव खीणमोहो / मणपज्जवनाणे सत्त गुणठाणा-पमत्तसंजयाओ जाव खीणमोहो / केवलनाणे केवलदरिसणे दो गुणठाणा-सजोगी अजोगी य / अन्नाणतिगेमइअन्नाणे सुयअन्नाणे विभंगलक्खणे पढ़मा तिन्नि गुणट्ठाणा अहवा दोनि गुणठाणा-मिच्छद्दिट्ठी सासायणो य / केसि मएण मिस्सो वि अन्नाणी भन्नइ, नाणकज्जाकरणाओ // 29 // सामाइयछेएसुचउरो परिहार दो पमत्ताई। देससुहुमे सगं पढमचरमचउअजयअहखाए // 30 // (राम०) सामाइए छेओवट्ठावणिए य चत्तारि गुणट्ठाणा-पमत्तअपमत्तअपुवकरणअनियट्टि बायरा / परिहारविसुद्धीए दो-पमत्तो अपमत्तो य। देसे देसविरओ। सुहुमे सुहमसंपराओ। पढमा चत्तारिगुणट्ठाणा अविरयस्स / चरिमा उवसंतमोहाइया चत्तारि गुणट्ठाणा अहखायचरित्तस्स // 30 // बारस अचक्खुचक्खुसु पढमा लेसासुतिसु छ दुसु सत्त। सुक्काएँ तेरस गुणा सव्वे भव्वे अभव्वेगं // 31 // (राम०) वारस गुणट्ठाणा सजोगि-अजोगिवज्जा पढमा चक्खुस्स अचवखुस्स य / लेसासु तिसु किन्हनीलकाउसु पढमा छ गुणठाणा / तेउपम्हाए सत्तमो अप्पमत्तो / सुक्कलेसाए सव्वे भजोगिवज्जा तेरस / भव्वस्स चउदस वि गुणट्ठाणा / अभव्वस्स एगं मिच्छत्तं // 31 //