________________ काव्यमाला / ... भन मलयजं चित्रे रात्रिः प्रयाति कठोरता ___ मिति चतुरताचार्यस्तासां बभूव सखीजनः // 37 // इति श्रीव्यासदासापराख्यक्षेमेन्द्रनिर्मितायां समयमाटकायां प्रदोषवेश्यालापवर्णनं तृतीयः समयः। चतुर्थः समयः। अस्मिन्नवसरे धूर्तवार्तालीना सुकुटनी / नापिताख्येन तमसा रजनीव सहाययौ // 1 // अस्थियन्त्रशिरातन्त्री लीनान्त्रोदरकृत्तिका / शुष्ककायकरङ्काकावृतेव कटपूतना // 2 // वहन्ती सुबहुच्छिद्रं शरीरं चर्मबन्धनम् / अन्तर्गतजगद्व्याजशिक्षाशकुनिपञ्जरम् // 3 // सर्वस्वग्रहणेनोपि लम्बमानमुखी सदा। तुलेवाङ्कसहस्राङ्का त्रैलोक्यतुलने कलेः // 4 // समा समधने पापे सपापाधमगाधमे / धात्रा कृत्रिमरागस्य स्वरमालेव निर्मिता // 5 // सुस्पष्टदृष्टदीर्घोग्रदशना भीषणाकृतिः / प्रसवक्रूरकोपेन संस्थितास्थिरता शुनी // 6 // उलूकवदना काकग्रीवा मार्जारलोचना / निर्मिता प्राणिनामङ्गैरिव नित्यविरोधिनाम् // 7 // वेश्यावनैकपालिन्या यया रागमहाव्रते / कृता कामुकलोकस्य खटाङ्गशरणा तनुः / / 8 // सक्ताश्रुपातजननीं तां विलोक्य कलावती / अभिचारहुतस्याग्नेः काली धूमशिखामिव // 9 // ससंभ्रमोत्थिता तस्याः कृत्वा चरणवन्दनम् / दत्त्वा निजासनं चक्रे स्तुतिं पूजापुरःसराम् // 10 // 1. 'शाखाशकुनि' इति पाठः. 2. 'चापि' इति पाठः. 3. 'समदने' इति पाठः..