________________ काव्यमाला। तत उन्मत्तिका भूत्वा सा नमालिङ्गिता श्वभिः / कुम्भादेवीति विख्याता प्राप पूजापरम्पराम् // 86 // क्षिप्रोपदेशलुब्धेन कुलदासेन मन्त्रिणा / साचिता प्रययौ हृत्वा पूजाराजतभाजनम् // 87 // साथ तक्षकयात्रायां चलहण्ठा दिनत्रयम् / कल्पपाली कलानाम विदधे मद्यविक्रयम् // 8 // कटिघण्टाभिधानस्य सा क्षीबस्य तपस्विनः / / / रात्रौ तत्र प्रसुप्तस्य घण्टाः सप्त समाददे // 89 // ततः सा भूरिधत्तूरमधुना नष्टचेतसाम् / पान्थानां सर्वमादाय निशि शूरपुरं ययौ // 90 // एवं कृत्वा लवणसरणौ भारिकं भर्तृसंज्ञं तस्मिन्निद्रावशमुपगते रात्रिमन्यैः क्षिपन्ती / प्रातर्बड्वा एथुकटितटं संकटे दीर्घदाम्ना ___ मूर्धा भारं दिवसमखिलं सां विलासैरुवाह // 91 // निःशुष्कैरतटैमहाहिमपथैरुल्लङ्घय घोरान्गिरी न्बम्बानाम दिनावसानसमये मान्याङ्गनारूपिणी / हेमन्ते वसनावगुण्ठितमुखी पञ्चालधारामठे शीतार्ता घनलम्बकम्बलवती चक्रे स्टहां कातरा // 92 // साथ सत्यवती नाम वृद्धा ब्राह्मण्यवादिनी / बभ्राम सागरद्वीपरशनाभरणां भुवम् // 93 // क्वचिद्योगकथाभिज्ञा क्वचिन्मासोपवासिनी / क्वचित्तीर्थार्थिनी मिथ्या सा परं पूज्यतां ययौ // 94 // वेधधूननधूपेन मूर्खश्रद्धाविधायिनी। महतीं प्रतिपत्तिं सा लेभे भूपतिवेश्मसु // 95 // 1. 'युभिः' इति पाठः. 2. 'सत्याङ्गना' इति पाठः. 3. 'स्पृहाकारता' इति पाठः. 4. 'धूपन' इति पाठः.