________________ 2 समयः] . समयमातृका / ततः प्रत्यन्तविषये प्रभूतच्छागगोचरा / .ख्याता धनवती नाम स्फीतां चक्रे गृहस्थितिम् // 74 // . साथ मेघापघातेन तस्मिन्पशुधने वने / स्वकाय इव सापाये याते चर्मावशेषताम् // 79 // गृहीत्वा पशुपालस्य स्थूलं निक्षेपकम्बलम् / गत्वावन्तिपुरं चक्रे ताराख्यापूपविक्रयम् // 76 // क्रीत्वा गणेशनैवेद्यमण्डकानां करण्डकम् / पुनः पाकोष्मणा नित्यमकरोद्विक्रयं पथि / / 77 // साभुत गृहनारीणां प्रेभूतोज्जामतण्डुलम् / प्रभूतलाभलुब्धानां मूलस्यापि परिक्षयः // 78 // पान्थकन्यां घृताभ्यक्तां कृत्वा कुशलिकाभिधा / मिथ्यासन्नविवाहार्थमयाचत गृहे गृहे // 79 // ततः सा पैञ्जिका नाम द्यूतशालापुरःस्थिता / कपटाक्षशलाकानामकरोढूढविक्रयम् // 80 // सा पौष्पिकी मुकुलिका कृत्वा निर्माल्यविक्रयम् / देवप्रासादपालानां मूल्यं भुक्त्वा ययौ निशि // 81 // ग्रामयात्रासु सा वोरिसत्रदात्री हिमाभिधा / रङ्गप्रेक्षणबालानां निनाय वलयादिकम् // 82 // सा नक्षत्रपरावृत्तिं कृत्वा षट्राष्टकेष्वपि / विवाहेष्वकरोद्यत्नं वर्णाख्या कूटवर्णनैः // 83 // गणविज्ञानिका मुग्धप्रत्ययैः ख्यातिमाययौ / नामाभिज्ञानमात्रज्ञा न तु चौरान्विवेद सा // 84 // भावसिद्ध्यभिधाना सा देवतावेशधारिणी / उपहारान्प्रयच्छेति वदन्ती नावदत्परम् // 85 // 1. 'सा भुक्त्वा ' इति पाठः. 2. 'प्रभूतो ज्ञानमण्डलम्' इति पाठः. 3. 'कलशिकाभिधा' इति पाठः. 4. 'पेचिका' इति पाठः. 5. 'वारिसत्त्वधात्री' इति पाठः.