________________ काव्यमाला। पट्टी मण्डलशिक्षायै प्रणतानां सदैव सा / गृहे गृहे कुलस्त्रीणां ददौ दौःशील्यदेशनाम् // 63 / / वश्यप्रयोगैवेश्यानां वणिजामृद्धिवर्धनैः। मन्त्रवादेन मूर्खाणां सा परं पूज्यतां ययौ // 64 // तत्रोपासकदासेन मङ्गलाख्येन संगता। सा गर्भ दम्भभोगानां मूत विघ्नमिवादधे // 65 // विच्छिन्ने पिण्डपाते सा लम्बमानमहोदरी। .. प्रसूता गर्भमुत्सृज्य जगाम नगरं पुनः / / 66 // . कूटकेशवती तत्र चित्रसेनस्य मन्त्रिणः / पुत्रजन्मनि सा पुण्यैः पत्न्या धात्री प्रवेशिता // 67 // सार्धक्षीराभिधा धात्री सिंहपादसीस्थिता / बालोत्सङ्गा गृहं सर्व ग्रासीकर्तुमिवैक्षत // 68 // क्षीरसंक्षयरक्षायै संप्राप्तसरसाशना / . सा मन्त्रिभवने धात्रा धात्री पात्रीकता श्रियः // 69 // कण्ठे विद्रुममालिका श्रवणयोस्ताडीयुगं राजतं स्थूलस्थूलविभक्तिसक्तवटकारभारभाजौ भुजौ / गुल्फास्फालविलम्बिकम्बलघनारम्भा नितम्बस्थली धात्र्याः संभृतभोजनैरभिनवीभूतं पुराणं वपुः // 70 // ततस्तदपचारेण शिशौ जातज्वरे व्यधात् / वैद्यदत्तोपवासा सा मत्स्यसूपपरिक्षयम् // 71 // पानीयं विनिवारणीयमहितं भक्तस्य वातैव का द्वित्राण्येव दिनानि धात्रिदयया धात्रीरसः पीयताम् / जीवत्वेष शिशुभेजस्व विविधैरस्योत्सवैः संपदं वैद्येनेति निवेद्यमानमकरोत्सा सर्वमेवाश्रुतम् // 72 // दृष्ट्वा तत्रातुरं बालं तृणवत्सुतरागिणी / सा ययौ निर्दया रात्रौ गृहीत्वा हेमसूतिकाम् // 73 / / 1. 'स्थालस्थूल' इति पाठः. 2. 'प्राग्भाव' इति पाठः. 3 'धातृदयया' इति पाठः