________________ काव्यमाला / सा वेश्मविक्रयादाने पुत्रैराकृप्य वारिते। गत्वाधिकरणं चक्रे मठिभट्टोपसेवनम् // 41 // उत्कोचारब्धसंघटैर्भट्टैः कूटरथादिभिः / सादिष्टाभीष्टसंपत्तिर्जग्राह जयपट्टकम् // 42 // गृहं विक्रीय सर्वस्वं गृहीत्वा पुत्रशङ्किनी / सा चित्रवेषप्रच्छन्ना ययौ शाक्तमठाश्रयम् // 43 // कृष्णीकृतश्वेतकचा रङ्गाभ्यङ्गेन भूयसा। ........"जलेव सा तत्र नवपण्याङ्गनाभवत् // 44 // चलित्वाभ्यागता................ वणिग्वधूः / इति तस्याः प्रवादेन बभूवाधिकविक्रयः // 45 // सत्यासत्यकथातत्त्वमविचार्यैव धावति / गतानुगतिकत्वेन प्रवादप्रणयी जनः // 46 // क्षीणजिह्वाधरकरा कोषपानेन कामिनाम् / छिन्नाङ्गुलिः सा जग्राह रागवेलां पुनः पुनः // 47 // सा चौरद्रविणादानाबृहीता शठचेटकैः / प्रत्यक्षापह्नववती सुबद्धा बन्धने धृता // 18 // तत्र बन्धनपालेन भुजंगाख्येन संगत्ता / निर्विकल्पसुखा चक्रे मत्स्यापूपमधुक्षयम् // 49 // साथ बन्धनपालस्य गाढालिङ्गनसंगमे / / क्षीबस्य चुम्बनासक्ता जिह्वां चिच्छेद मुक्तये // 50 // सा जिह्वाछेदनिःसंज्ञं तमाक्रन्दविवर्जितम् / स्त्रीवेषं स्वांशुकैः कृत्वा जगामोत्क्षिप्तशृङ्खला // 51 // सा भग्ननिगडा प्राप्य रजन्यां विजयेश्वरम् / महामात्यसुतास्मीति जैगादानुपमाभिधाम् // 52 // 1. 'प्रत्ययी' इति पाठः. 2. 'जगृहे' इति पाठः. 3. 'जगादानसमाभिधाम्' इति पाठः.