________________ काव्यमाला / / क्षपारम्भे क्षीबं शिशुकमिव निक्षिप्य शयने जगामान्यं तस्मिन्सुरतघननिद्रापरमपि / निशाशेषे शूलाकुलनिजसखीवेश्मगमना पदेशेनान्यं सा सततमगमत्स्वक्रयभरे // 17 // नानावहारकुपितैः सान्विष्टा सुभगैर्भृशम् / पलायमाना गुप्तेषु तस्थौ कामुकवेश्मसु // 18 // ततः प्रासादपालेन नन्दिसोमेन सा निशि। .. गौरीगर्भगृहं रात्रौ रागान्धेन प्रवेशिता // 19 // निःश्वासनिद्रया तस्मिन्प्रयाते काष्ठभूतताम् / देवालंकरणं सर्व सा गृहीत्वा ययौ जवात् // 20 // ततः समरसिंहस्य डामरस्यावरुद्धिका / भूत्वा नागरिकानाम प्रतापपुरवासिनः // 21 // प्रभूतपिशिताहारसंभारः स्थूलतां गता।। सा तस्य भीमसेनस्य हिडिम्बेवाभवत्प्रिया // 22 // सर्वस्वस्वामिभावं सा संप्राप्ता तस्य रागिणः / प्रेरणं बन्धुयुद्धेषु विदधे निधनैषिणी // 23 // हते पितृव्रजे तस्मिन्बद्धमूला परं गृहे / साभूदपरपुत्रस्य श्रीसिंहस्यावरुद्धिका // 24 // विगलद्यौवना यूनः सा सपत्नीजिगीषया / चकार तस्य स्वीकारं वशीकरणमूलकैः // 25 // मत्स्ययूषघृतक्षीरपलाण्डुलशुनादिभिः / प्रत्यायनप्रसक्ताभूद्यौवनस्य प्रियस्य सा // 26 // अथ भूपभयात्तस्य प्रत्यासत्तेऽथ भूतपे(?) / भूरि द्रविणमादाय साविशन्नगरान्तरम् // 27 // ततस्तनुतरस्वच्छवसना विनतानना / रण्डा मृगवती नाम साभूत्स्पर्शस्टहामही // 28 // 1. 'आराधन' इति पाठान्तरम्.