________________ पृष्ठाङ्काः 585 102 ': पद्यानि .. . पृष्ठाङ्काः पद्यानि अनुरागवती सन्ध्या अप्येहि कान्ते वैदेहि 250 अनुशासतमित्यनाकुलं अप्राकृतस्तु कथमस्तु . . . . . 486 अनेकपादभ्रमदन . 219 अभिधाय तदा तदप्रियं . . 96 अनेन कल्याणि मृणाल अभिनववधूरोषखादुः 131,722 अनेन कस्यापि कुलाङ्कुरेण अभिनवेलौ गम्भीरौ 356 अनेन यूना सह पार्थिवेन 518 अभूद्वरः कण्टकितप्रकोष्ठः 571 अन्त्रप्रोतबृहत्कपाल | अभ्युद्धृता वसुमती 71,716 अन्त्रैः कल्पितमङ्गल 103,731 | अब्रूविलासमस्पृष्टअन्यतो नय मुहूर्तमाननं | अमअमअगअणसेहर 675 अन्यदाभूषणं पुंसः 115 अमृतममृतं चन्द्रश्चन्द्रः 254 अन्योन्यसंवलितमांसल अम्बा तुष्यति न मया 524 अपकर्ताहमस्मीति अम्लानोत्पलकोमले 551 अपश्यद्भिरिवेशानं . 741 अम्हारिसा वि कइणो . . . . 93 अपहस्तितान्यकिसलय अयं तया (स्या) रथक्षोभा- 507 अपि जनकसुतायास्तच अयं पद्मासनासीनः / 42 अपि तुरगसमीपादुत्पतन्तं 153 अयमभिनवमेघश्यामलो- ...605 अपीतक्षीबकादम्बं .. 318 अयमसौ भगवानुत . 371 अपेतन्याहारं धुतविविध- 651 अयमान्दोलितप्रौढ- 321 अप्फुन्दंतेण णहं 239 1. शिशुपा० 16.2. 2. औचि१. ध्वन्या० 1-13. 2. किराता० त्यविचारचर्चायां मालवरुद्रस्य. 3. का. 2.54. 3. विक्रमो० 3.13. 4. शा- व्याद० 2.183. 4. रघुवं०७-२२. कुन्त० 7-19. 5. रघुवं० 6.35. 5. काव्याद० 2-191. 6." रा० 6. महावीरच० 1-26. 7. मालती. श्रीविजयपालस्येति सुभाषिता० 7. 'भट्ट५.१८. 8. मजीरस्यति सुभाषितावलिः. कपर्दिनः इति सुमाषिता० मल्लिनाथस्येति ९.शिशुपा० 2.44. 10. वामनका० | भोजप्र. 8. विक्रमो० 3.11. 9. ने३.२.१०. 11. काव्याद० 2-293. 12. किराता० 15-2. 13. उ | मिसाधो रुद्रटकाव्या. वृत्तौ पृ. 146. त्तर० 6.26. 14. रघुवं. 9.67. १०.मालती०९-५. ११:किराता०१८. 15. काव्याद० 2-200. .. | 9. 12. काव्याद० 2.236... " 26. 600