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________________ 10. 651 - 136 687 703 270. 669 219 300 पद्यानि पृष्ठाङ्काः पद्यानि पृष्ठाङ्काः अब वि बालो दामोभरो . 539 अथात्मनः शब्दगुणं अब वि सेअजलोल्लं 636 अदृश्यन्त पुरतेन / अब्बाइ णवणहक्खा असणेण पुत्तों 'अञ्जनचूर्णपुजश्याम' . 154 | अद्य प्रभृत्यवनताङ्गि अज्ञातबन्धुरयमृक्ष- 604 | अद्य मे सफला प्रीतिः अणुणिअखणलद्धसुहे अद्यापि तत्कनककुण्डलअणुमरणपत्थिाए | अद्रेः शृङ्गं हरति पवनः 371 अण्णमहिलापसहं अद्वैतं सुखदुःखयोरनुगुणं अण्णह ण तीरइ चिन अनङ्गकमलंचके अण्णुअ णाहं कुविआ अनङ्गलङ्घनालन अण्णे वि हु होन्ति छणा अनजितासितादृष्टिअण्णोण्णेहिं सुचरित्र 356 अनभ्यासेन विद्यानां 326 अतिः अतिः अन्म अनयोरनवद्याशि अत्तंतहरमणि अत्यकरूसणं खणपसिजणं अनश्वुवानेन युगोपमान 329 अत्यन्तमसदार्याणां अनाघ्रातं पुष्पं किसलय- 426 अत्रान्तरे ललितहारलतां अनाप्तपुण्योपचयैः अत्राप्युदाहरन्तीमं अनुगच्छन्मुनितनयां अथ तैः परिदेविताक्षरैः 538 अनुत्तमानुभावस्य अथ दीर्घतरं तमः प्रवेक्ष्यन् अथ वासवस्य वचनेन 1. रघुवं० 13-1. . 2 गा० स० 153 अथ स विषयव्यावृत्तात्मा 3-36. 3. कुमार०५-८६.४. चौरपं० अथाजिनाषाढधरः 740 12. 5. मेघसंदे० 1.14. 6. उत्तर राम० 1-39. 7. काव्याद० 3.90. 1. गा० स० 2.12. 2. गा० 8. काव्याद० 2.201. 9. काव्याद. स. 2-50. 3. गा० स० 7.75. 4. काव्याद० २-२५०.५.विद्धशालम० | 2-247. 10. कान्याद० 1.87. 1.19. 6. कुमार० 4-25. 7. कि 11. रघुवं० 18.48. 12. शाकुन्त. राता० 13.30. 8. किराता० 12.1.2-10. 13. किराता० 3.5. 14. शा. 9. रघुवं० 3.70. १०.कुमार०५-३०. / कुन्त० 1.24, 327 184 381
SR No.004397
Book TitleSarasvatikanthabharanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhareshvar Bhojdev, Kedarnath Sharma, Vasudev L Shastri
PublisherPandurang Jawaji
Publication Year1934
Total Pages894
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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