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________________ (417) / इदमाद्यर्थनिरूपणम् / इदमस्तु सन्निकृष्टं समीपतरवर्ति चैतदो रूपम् / अदसस्तु विप्रकृष्टं तदिति परोक्ष विजानीयात् // 6 // / अनुस्वारनिरूपणम् / नकारजावनुस्वारपञ्चमौ धुटि धातुषु / सकारजः शकारश्च ट्टवर्गस्तवर्गजः // 7 // . / धात्वर्थविशेषनिरूपणम् / उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते / विहाराहारसंहारप्रहारप्रतिहारवत् // 8 // धास्वर्थो बाधते कश्चित् कश्चित् तमनुवर्तते / तमेव विशिनष्टयन्योऽनर्थकोऽन्यः प्रयुज्यते // 9 // / अकर्मकत्वनिरूपणम् / फलव्यापारयोरेकनिष्ठनायामकर्मकः / धातुस्तयोर्धर्मिभेदे सकर्मक उदाहृतः // 10 // धातोरर्थान्तरे वृत्तेर्धात्वर्थेनो संग्रहात् / प्रसिद्धरविवक्षातः कर्मणोऽकमिका क्रिया // 11 // / द्विकर्मकगणनानिरूपणम् / नीवहिकृषो ण्यन्ता दुहिब्रूपच्छिभिक्षिचिरुधिशास्वर्थाः / पचियाचिदण्डिकृग्रहमथिजिप्रमुखा द्विकर्माणः // 12 //
SR No.004395
Book TitleDharmdipika Vyakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangalvijay
PublisherYashovijay Jain Granthmala
Publication Year1925
Total Pages828
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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