________________ (19) ___ अ. पा. सू. पृ. -तीयं ङित्कायें वा / 1 / 4 / 14 / 31 "तुभ्यं मह्यं ड्या / 2 / 1 / 14 / 89 तुल्यस्थानास्यप्रयत्नः स्वः / 1 / 1 / 17 / 4 तृणादेः सल् / 6 / 2 / 81 / 178 तृतीयस्तृतीयचतुर्थे / 1 / 3 / 49 / 7 तृतीयस्य पञ्चमे - तृतीया तत्कृतैः / 3 / 1. / 65 / 134 तृन्नुदन्ताव्यय-खलर्थस्य / 2 / 2 / 90 / 124 तृस्वसृनप्तृ-घुट्यार / 1 / 4 / 38 / 40 'तेन च्छन्ने रथे / 6 / 2 / 131 / 172 - तेन जितजयद्दीव्यत्खनत्सु / / 4 / 2 / 192 - तेन निवृत्ते च / 6 / 2 / 71 / 177. तेन प्रोक्ते / / 3 / 181 / 190 तेन वित्ते चन्चुचणौ * / 7 / 1 / 175 / 218 तेन हस्ताद् यः / 6 / 4 / 101 / 199 तो मुमो व्यञ्जने स्वौ / 1 / 3 / 14 / 18 तः सौ सः / 2 / 1 / 42 / 68 त्यदादिः त्यदामेनदेतदो-ऽवृत्त्यन्ते / 2 / 1 / 33 / 69 त्यादिसर्वा देः स्वरेष्वन्त्यात् पूर्वोऽक्। 7 / 3 / 29 / 238 त्यादेश्च प्रशस्ते रूपम् / 7 / 3 / 10 / 238