________________ तत आगते तत्र (17.) त .. . अ. पा. सू. पृ. / 6 / 3 / 149 / 190 ततो हश्चतुर्थः तत्पुरुषे कृति / 3 / 2 / 20 / 155 / 7 / 1 / 53 / 207 तत्र कृतलब्धक्रीतसंभुते / 6 / 3 / 94 / 187 तत्र नियुक्त / 6 / 4 / 74 / 197 तत्र साधौ / 7 / 1 / 15 / 205 तत्राधीने . / 7 / 2 / 132 / 233 तत्रोद्धो पात्रेभ्यः / 6 / 2 / 138 / 18. तदत्रास्ति / 6 / 2 / 70 / 177 तदन्तं पदम् तदर्थार्थेन / 3 / 1 / 72 / 135 तदस्य पण्यम् / / 6 / 4 / 54 / 196 तदस्य संजातं तारकादिभ्य इतः। 7 / 1 / 138 / 213 तदस्यास्त्यस्मिन्निति मतुः / 7 / 2 / 1 / 218 तदः सेः स्वरे पादार्था . / 1 / 3 / 45 / 23 द् तद्धितयस्वरेऽनाति / 2 / 4 / 92 / 115, तद्धितः स्वरवृद्धि-विकारे / 3 / 2 / 15 / 144 तद्धिताककोपान्त्य-ख्याः / 3 / 2 / 54 / 143 तद्धितोऽणादिः / 6 / 1 / 1 / 162 तद्भद्रायुष्यक्षेमार्थार्थेनाशिषि / 2 / 2 / 66 / 127