________________ (3) तथा उच्चस्वरेणोपलभ्यमानो वर्ण उदात्तः, नीचैः स्वरेणोपलभ्यमानो वर्णोऽनुदात्तः, समवृत्या चोपत्रभ्यमानो वर्णः स्वरितः / तदुक्तम् - उच्चैरुदात्तः, नीच्चैरनुदात्तः, समाहारः स्वरितः इति / कादियञ्जनम् / 1 / 1 / 10 / कादयो हपर्यन्ता वर्णा व्यञ्जनसंज्ञका भवन्ति / क ख ग घङ, च छ ज झ ञ, ट ठ ड ढ ण, * त थ द ध न, प फ ब भ म, य र ल व, श ष स ह इति / पञ्चको वर्गः।१।१ / 12 / - कादिवर्णेषु यो यः पञ्चसंख्यापरिमाणः प्रसिद्धः, स वर्गसंज्ञः . स्यात् / क ख ग घ ङ, च छ ज झ ञ, ट ठ ड ढ ण त थ द धन, प फ ब भ म / . अपञ्चमान्तस्थो धुद / 1 / 1 / 11 / वर्गपञ्चमान्तस्थावनः कादिवर्णो धुट्संज्ञः स्यात् / क ख ग घ, च छ ज झ, ट ठ ड ढ, त थ द ध, प फ ब भ, श ष स ह / आद्यद्वितीयशषसा अघोषाः / 1 / 1 / 13 / ..... वर्गाणामाद्यद्वितीयवर्णास्तथा शषसाश्चाघोषसंज्ञाः स्युः / क ख . च छ ट ठ. . त थ प फ श ष स / अन्यो घोषवान् / 1 / 1 / 14 /