________________ 92 : : नरभवदिटुंतोवनयमाला ये रामपात्रमा मूकी लेवा आवनार दासीने सोंपी ते देवदत्ता गणिकाने मोकलावी आप्या / 24-25-26 / जणणीए दंसियाओ पेच्छसु विण्हाण अंतरं दोण्हं / .. अकिलेसेणं भक्खण-जुग्गाओ पेसिया जेण / / 27 / / ___भावार्थ:-ते गणिकाए माताने बतावी का के-बन्नेना विज्ञान- अंतर तपास. जे मूलदेवे परिश्रम विना खावालायक शेलडी मोकलावी छे // 27 / / अयलेण पुण महतो अत्थव्वओ कारिओ न उण मज्झ / एक्कावि उच्छुलट्ठी जुहोव जुरज इ तहा विहिया // 28 // भावार्थ:-जो के अचले पैसानों मोटो खर्च को छे छतां एक पण शेलडीनो सांठो मारा उपयोगमां आवी शके तेवं नथी कयं // 28 // एगंतेणेव गुणं एसा पेच्छेइ मूलदेवस्स / इय सविसाया जणणी चितेउं एवमारद्धा // 29 // . भावार्थ:-आवी रीतना एकान्तवडे करीने चतुराइना गुणने लीधे आ देवदत्ता फक्त निर्धन मूलदेवनेज देखे छे, आ प्रमाणे खेद साथे तेनी मा विचारमां पडी // 29 // को नाम सो उवाओ जेणेसो निग्गहं लहिज्जाहि / अयलाओ जेण न पुणो पविसेज्जा मज्झ गेहंमि / / 30 / /