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________________ 6 स्वप्न दृष्टांत : : 91 तो भणसु मलदेवं किं काही सोवि ताव पेच्छाओ। पिहिया चेडी जाणा विओ य सो जूयखेलमि / / 23 / / भावार्थ:-तेटलामाटे मूलदेवने पण आ बाबतनी सूचना आप के ते शु करे छे ते पण आपणे जोइये, एम माताने कह्या बाद तेणीनी माताए जूवटाना खेलमां वर्तता मूलदेवने दासी मारफत कांइक शेलडी मोकलाववानी सूचना आपी // 23 // तत्तो तेण कवाडे घेत्तूणं दसद्गेण तम्ममं / गहिया दोलट्ठीओ दुगेण दो अहिणसरावे / / 24 / / सेसेण चाउज्जायं तिक्खेण छुरेण ताओ घडियाओ / तह गंडलीकयाओ सूलासपोइयाओ य / / 25 / / चाउज्जाएणं वासिऊण ठविओं सरावदुगमज्झे / घेडीकरप्पियाओ काउं संपेसिया तीसे // 26 / / भावार्थ:-त्यारबाद ते मलदेवे तीस (20) कोडीओ लेइने तेमाथी केटलीक काडीओना बे सांठा अने बे कोडीओना बे सारा रामपात्रो खरीयां, बाकीनी काडीीथी 'चातुर्जातक खरीधुं अने तिक्ष्णछरीथी शेलडी छोलीने कटका कर्यां अने हाथ न बगडे तेटला माटे ते दरेक कटकाने सूलीओमां परोव्या अने चातुर्जातकथी संस्कृत करी खरीदेल ___ 1 तज, लवींग, इलायची ने मरीनुं चूर्ण. 2 संस्कार.
SR No.004393
Book TitleNarbhavdrushtantopnaymala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendrasuri
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year1996
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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