________________ 90 : : नरभवदिटुंतोवनयमाला मोकली कहेवराव्यु के तारी वल्लभा देवदत्ताने 'इक्षु (शेलडी) भक्षण करवानी आकांक्षा (इच्छा) थइ छे / / 19 / / तप्पत्थणाए साहग्गियाणमग्गेसरं मुणंतो सो। . अप्पाणमणेगाइं संपेसइ उच्छुसगडाइ / / 20 / / भावार्थ:-तेनी (देवदत्तानी) प्रार्थनाथी पुण्यशालीओमां पोताने अग्रेसर मानता एवा अचलसार्थवाहे अनेक इक्षु (शेलडो)ना गाडा तेणीने त्यां मोकलावी आप्या // 20 // .. अणणीए सा भणिया अयलस्सोदारयं तुमं पेच्छ / इक्कवयणेण जेणं महव्वओ एरिसा विहिओ / / 21 / / भावार्थ:-माताए कह्य-हे पुत्रि ! तु अचलनी उदारता जो. जेणे एकवचनमात्रथी आवो मोटो खर्च करी दीधो छ // 21 // सविसायं सा भासइ किमहं करिणी जमेव उवणेइ / असमारइयाओ इमा समूलदालाओ लट्ठिओ / / 22 / / भावार्थः-ते देवदत्तागणिका खेदसाथे कहेवा लागी के-शुं हुं हाथिणी छु के ? जे आ प्रमाणे समार्या बिना थडने पांदडावाली शेलडी मोकलावी छे तेने हुं शुं करुं? // 22 //