________________ 6 स्वप्न दृष्टान्त: : 87 प्रसंगे क्रीडानिमित्ते गणिकानी साथे मूलदेवने बागमा फरता अचल नामना सार्थवाहे जोयो // 8 // सिबियारूढं पोर्ट तक्खणमुवकंठमागओ तीए / चितेइ सत्यवाहो एसा णो मिलइ दुत्थाणं // 9 // भावार्थ:-पालखी उपर बेसीने साहसपूर्वक ते सार्थवाह तत्कालज तेणीनी पासे आव्यो, अने विचार्य के-आ (देवदत्ता) दरिद्रोने मले तेवी नथी // 9 // ता केण उवाएणं मज्झं समीहियकरा भवेज्जेसा / पारद्धो दाणाइ-उवयारोणेगहा तोए // 10 // भावार्थ:-तेटलामाटे कोइपण उपायवडे करीने ते देवदत्तागणिका मारा मनोरथने सिद्ध करे तेम थर्बु जोइए, एम विचारी अनेकप्रकारे दान विगेरेथी तेणीनो उपचार करवो शरु कर्यो // 1 // उवयारमत्तलुब्भा गणियाओ जेण तेण सो तीए / आणीओ बहुमाणस्स गोयरं दावियसिणेहो // 11 // भावार्थ:-उपचारमात्रथी वेश्याओ बश थाय छे तेथी आ गणिकाए पण ते सार्थवाहना स्नेहनुं बहुमान कर्यु // 11 // वरचित्तभित्तिकलिए निम्मलमणिभूसिए सउल्लोचे / पज्जेलियरयणदीवष-पहागलच्छियतिमिरपूरे // 12 // कयउन्भडसिंगारो पउससममि वासभवणे से। पत्तो पडिवण्णो अस गाइराण से तीए // 13 //