________________ 84 : : नरभवदिटुंतोवनयमाला इय पंचमविट्ठतो रयणगणामा मए विणिट्टिो / गरभवलद्धट्ठाए लिहिओ पवयणसमुद्दामों // 25 // .. सिरिविजयप्पहसूरि-रज्जे सिरिविणयविमलकविराया। सिरिधीरविमलपंडिय-सीसेण गयाइविमलेण // 26 // ___ भावार्थ:-श्रीविजयप्रभसूरिना राज्यमां श्रीविनयविमलगणि कविराज ने तेओना शिष्य श्रीधीरविमल पंडित थया तेओना शिष्य में (नयविमले) मनुष्यभवनी दुर्लभता उपर शास्त्रसमुद्रथो लइ रत्नोनुं पांचमुं दृष्टान्त उपर प्रमाणे योजेल छ / / 25-26 // // इति श्रीमत्तपागणगगनांगणदिनमणिभट्टारकश्रीमदानन्दविमलसूरीश्वरसुशिष्यपण्डितहर्षविमलगणिशिष्यपण्डितजयविमलगणिविनेयपण्डितकीतिविमलमणिशिष्यपण्डितविनयविमलगगिशिष्यपण्डितधीरविमलगणिसुगुरुपादारविन्दचञ्चरीकायमाणपण्डितनविमलमणिरचितायां नरभव दृष्टांतोपनयमालायां रत्नराशिनामा द्वितीयपञ्चमो दृष्टान्तः सम्पूर्णः // 5 // 卐 . .