________________ 5 आवश्यकचूर्णी रत्नदृष्टांतः : : 73 भावार्थ:-तेणे पुत्रने का रे ! आ अघटित चेष्टा शो ? किंमत न थइ शके तेवा रत्नोनो विक्रय तमोए क्या कर्यो // 9 // मोल्लाणि पडिसम्मपिअ तेसिं वणिजा रयणाण लहु चेव / जह एइ मज्झ गेहं ताई तुब्भेहिं तह कज्ज // 10 // ___ भावार्थ:-किंमत पाछी आपी ते खरीदनार वाणीआओ पासेथी जे रीते रत्नो मारे घेर पाछां आवे ते रीते तमो सघलाएं करवू // 10 // तो तेहिं अट्ट अदृसु दिसासु तेसि गवेसणनिमित्तं / पारसकूलाइसु पत्ता देसंतरेसु कमा / / 11 / / ___ भावार्थः-त्यारबाद ते पुत्रो आठे दिशामां ते रत्नोनी शोध माटे नीकली गया ने छेवटे देशांतरमां गया // 11 // सव्वायरेण ताई गवेसयाई न सव्वसंजोगा। संजाओ वणिआणं कहिंपि केसिपि गमणवसा // 12 // . भावार्थ-विशेष आदरपूर्वक गएलां रत्नो शोध्या परंतु खरीदी लइ जनार वाणीआओ कांइ अनियत स्थाने चाल्या गएला होवाथी रत्नो मल्या नहि / 12 / रयणाण तेसि दुलहो समागमो जह तहेव जीवाणं / मणुयत्ताओ भट्ठाण पुणोवि माणुस्सओ जम्मो / / 13 / /