________________ 62 : : नरभवदिटुंतोवनयमाला अण्णोणं ते कोला-परायणा जाव बारवरिसाणि / न लहइ पुण दुचित्ता पुत्तो कइया वि जयवायं // 12 // ____ भावार्थः-ते बन्ने उक्त शरते जूवटुं खेलवा लाग्या ने बारवर्ष चाल्या गया परंतु दुष्टहृदयनो पुत्र दावमां विजय मेलवी शक्तो नथी // 12 // एवं दीणमणो सो न लहइ रज्जं च जूयजयवायं / कहमवि देवबलेण य लहइ जयं णो वि निरजम्मो / / 13 / / ___ भावार्थ:-ए प्रमाणे ते पुत्र राज्य के जूवटामां जय आपनारो दाव मेलवी शकतो नथी, कदाचित देवानुग्रहथी ते मेलवी शके पण खरो, किन्तु मनुष्य . जन्म तो पामवो घणो दुर्लभ ज छे // 13 / / जह तासि असीणं तस्स जओ दुल्लहो चिरेणा वि / तह मणुयत्तं जीवाणं जाण भवगहणलीणाणं // 14 // भावार्थ:-जेम ते तमाम थांभलानी हांशोनो जय मेलववो धणो ज कठिन छे तेम संसाररूपगहन (वन) मां लीन थएला बहुलभविजीवोने मनुष्यजन्म पण फरी मलवो महा दुर्लभ छे / / 14 // ___ अत्रोपनययोजना, यथा हवे दृष्टान्त घटावे छे, जेमजह णरवइ तह भन्बो जीवो अत्थिक्कणयररज्जधुरो / सुहमइरमणीरमणो विवेयमती पसन्नगुणो // 15 //