________________ : नरभवदिळूतोवनयमाला चित्रोथी शणगारेली अधिकशोभा संपन्न एकसोआठ थांभलावाली सभा हती // 4 // तत्थेक्केक्के थंभे अस्सीण सयं समत्थि अट्टहियं / एवं अस्सीण सहस्सा एगारससहस्सछसयचउसट्टा // 5 / / भावार्थः-जे सभाना एकेक थांभलामा एकसो आठ हांशीया (खुणा) हता, तमाम मली अगीयार हजार छसें चोसठ (11664) हांशीया हता / 5 / एवं कालंमि गए बहुमि रज्जं निसेवमाणस्स / नरवइणो तस्स सुओ अहण्णया चितइ कुचित्तो // 6 / / भावार्थः-आ प्रमाणे केटलोक काल वीती गया पछी राज्यने पालन करनार जितशत्रुराजानो पुत्र दुष्टचित्तवालो थइ एकदा विचारवा लाग्यो / 6 / रज्जं जह तह पत्तं सोहणमिइ चितिऊण जणवायं / ता थविरं नियपियरं मारिय गेण्हामि रज्जमिणं // 7 // भावार्थ:-जे रीते बनी शके ते रीते राज्य प्राप्त करवं ते ज श्रेय छे, आवा जनवादनो विचार करी निर्णय उपर आव्यो के, वृद्धपिताने मारी राज्य मेलवी लउं // 7 // नाऊण तस्सहाव-मच्चेण निवेइओ तओ रण्णा / आहुओ तेण सुओ भणिओ य कम पडिक्खाहि / / 8 / /