________________ 58 : : नरभवदिटुंतोवनयमाला धान्यना दृष्टान्तथी फरी मेलववो बहुज अशक्य छ / 10 / इय तइओ दिलुतो धण्णगणामा मए विणिहिट्ठो / नरभवलट्ठाए लिहिओ पवयणसमुद्दाओ // 11 // भावार्थः-आ प्रमाणे धान्यनो बीजो दृष्टान्त मनुष्य जन्मनी दुर्लभता जणाववा माटे शास्त्रसमुद्रमांथी लइ अहिं में योजेल छे / / 11 / / सिरिविजयप्पहसूरि-रज्जे सिरिविणयविमलकविराया। सिरिधीरविमलपंडिय-सीसेण णयाइविमलेण // 12 // भावार्थ:-श्रीविजयप्रभसूरिना राज्यमां श्रीविनयविमलगणि कविराय थया तेमना शिष्य श्रीधीरविमलगणि तेमना शिष्य नयविमलसूरिए (में) आ दृष्टांतनी घटना अहिं लखेल छे / / 12 / / // इति श्रीमत्तपागणगगनांगणंदिनमणिभट्टारकश्रीमदानन्दविमलसूरीश्वरसुशिष्यपण्डितहर्षविमलगणिशिष्यपण्डितजय विमलगणिविनेयपण्डितकीतिविमलगणिशिष्यपण्डितविनयविमलगणिशिष्यपण्डितधीरविमलगणिसुगुरुपादारविन्दचञ्चरीकायमाणपण्डितनयविमलगणिरचितायां नरभवदृष्टांतोपनयमालायां धान्यराशिनामा तृतीयो दृष्टान्तः सम्पूर्णः // 3 //