________________ 2 पाशक दृष्टांत : नथी, कोइ पण उपाये खजानो, घोडा, हाथी, विगेरे सैन्य मारे मेलवी देवं जोइए // 34 / / विणिम्मिया जंतगजोगपासया णियस्स इट्टा परगस्सऽणिटा / भणंति अण्णे कुलदेविभत्ति-प्पसायओ पुण्णबलेहि पत्ता / 353 __भावार्थ:-एम विचारी यंत्रयोगना बलथी पोताने इष्ट लाभ आपनार ने बीजाने नुकशान पहचाडनार पासा बनाव्या ने बीजा आचार्यो कहे छ के-श्रोष्ठ कुलदेवीनी भक्तिथी तेणीना प्रसादरूपे चाणाक्यने प्राप्त थया छे // 35 // पभायकाले अह मंतिदक्खो दोणारपुण्णं गहिऊण थालं / टिओ सहाए णयरंमि तत्थ घुटावइत्ति पडहं च उप्पहे // 36 // भावार्थ:-त्यारबाद ते मंत्रिदक्ष प्रातःकालमां सोनामहोरोथी भरेल थालने लइ सभामां रह्यो ने नगरमां आ प्रमाणे चोकमां पड़ह वगडाव्यो (ढंढेरो वगडाव्यो) // 36 // जिणाइ जोमं मणुओ य जूए दोणारथाले अह गिण्हउ सो / अहं जिणामित्ति सुवण्णमेगं गेण्हामि तो 'सच्चपणप्पइट्ठो / 37 / ___ भावार्थ:-के जे मनुष्य जूवटुं रमता मने जीते ते मारा सोनामहोरथी भरेला थालने लइले ने जो 1 सव्वपण इत्यपि