________________ 2 पाशक दृष्टांत : : 47 चंद्रगुप्तबालकने लताप्रदेशमां संताडी पोते लुगडाने धोतो त्यांज रह्यो / 27 / / अहागओ नंदसुओ भणाइ रे धूत्तो गओ कत्थ वयाहि तुष्णं / धूत्तो गओ तुम्ह भएण नट्ठा बालं खवेज्जाहिव कूवमझे / 28 // भावार्थः-त्यारबाद नंदपुत्रे आवी कह्य-रे धोबी ! धूर्त कइ तरफ गयो, जलदी बोल धोबी रूपमा रहेल चाणाक्ये कह्य-हे अधिप ! आपना भयथी बालकने कुवामां नांखी ते धूर्त भागी गयो / / 28 / णिसम्म तज्भासियमिट्ठसिद्धो कुवं गओ णिग्गहणट्टयाए / पंचत्तपत्तं अह नंदपुत्तं विण्णाय तुट्ठो हियए चणिक्को // 29 / / भावार्थ:-आ वाक्यने सांभली कुवरने मारवा अर्थे नंदपुत्र अंधकूप तरफ गयो त्यांज तेने मरी गयेलो जाणी चाणाक्य हृदयमां खुश थयो // 29 // आरोवइत्ता तुरयस्स पिट्ठ तं चंदगुत्तं गहिऊण तत्थ / ' पुरस्स छिद्दाणि गवेसमाणो भमेइ रज्जं मणसीच्छमाणो / 30 // भावार्थ:-ते कुमारचंद्रगुप्तने घोडाउपर बेसाडी * लइने नगरना पेसवाना छिद्रोने जोतो ने मनमां राज्यने इच्छतो चोमेर फरवा लाग्यो // 30 //