________________ 46 : : नरभवदिटुंतोवनयमाला . नंदस्स पुत्तो अह आसुरूत्तो तप्पिट्टओ गच्छई णिग्गहट्ठा / नाऊण तं भीइपलायमाणो विणिग्गओ चंदजुओ चणिक्को // 25 // . भावार्थः-चाणाक्य पण कुमारनु कथन सांभली चमत्कार पाम्यो अने चंद्रगुप्तने लइ नंदराजाना नगर तरफ गयो, चंद्रगुप्तसहित चाणाक्यने पोताना राज्यने खुशीथी लेवा माटे आवेल जाणी तत्काल नंदनो पुत्र ते बन्नेना निग्रह अर्थे तेओनी पीठ पाछल आव्यो नंदना पुत्रने पाठल आवेल जाणी डरथी . भागतो चाणाक्य चंद्रगुप्त सहित त्यांथी नीकली गयो // 24-25 // अग्गट्ठियं तण्णयरस्स बाहिं णिणे जयंगंणलनामदिट्ठ। अउ पण?त्ति हु नंदपुत्तो रुट्ठो समागच्छइ इत्थ मग्गे // 26 // भावार्थः-चालतो चालतो ते नगरनी बहार आगल रहेल सरोवरमां वस्त्रधोता धोबीने चाणाक्ये कह्य के अरे कोपायमान थएलो नंदराजानो पुत्र आ मार्गे आवे छे माटे अहींथी नाशी जा // 26 / / सिद्धस्स एयं वयणं सुणित्ता पलाइओ वत्थचयं च हिच्चा / लयापएसंमि सुयं ठवेत्ता सयं ठिओ वत्थधविज्जमाणो // 27 // भावार्थः-सिद्धना ए वाक्यने सांभलीने वस्त्रना ढगलाने छोडी ते धोबी भागी गयो चाणाक्य पण