________________ 2 पाशक दृष्टांत : : 45 दसेइ लेहं वय इत्थमेयं दलिज्ज हुज्जा अनिणी निवो जहा / तुट्ठ ण रणावि य पोइदाणं पडुव्वयारूव्व सुयरसदिष्णं // 21 // ___ भावार्थः-लेख बतावी राजाने को के-पोतानुं वचन पाली ऋणमुक्त थव जोइए, राजाए पण संतुष्ट थइने प्रत्युपकाररूप पोताना पुत्रनुं प्रीतिदान कर्यु // 21 // तं चंदगुत्तं णिरवज्जविज्जा-सज्जीकयं तेण गुणुक्करेण / कल हिवस्सेव कलापयारो जहा हविज्जक्खलिओ तहस्स / 22 / भावार्थ:-गुणवान् ते चाणाक्ये पण ते चन्द्रगुप्तने समस्त निर्दोष विद्याओमां पारंगत को कलाधिप (चंद) नी कलाओनो प्रचार जेम अस्खलित थाय छे तेम आ चंद्रगुप्तनी कलाओनो प्रचार पण अस्खलित थयो / / 22 / / चाणिक्कमाभासइ चंदगुत्तो दलाहि मे नंदनिवस्स रज्जं / हविज्ज तो जीवियजम्मलाहो सव्वत्थ भूवालसलाहणिज्जो / / 23 / / भावार्थ:-चंद्रगुप्ते चाणाक्यने का के-मने नंदन राज्य देवरावो, अमारा जीवित अने जन्मनी प्राप्ति सर्वत्र राजाओमां प्रशंसनीय थाय // 23 // कुमारभासं सुणिऊण चित्ते चमक्किओ तत्थ गओ चणिक्को / समागयं तं सुणिऊण विप्पं सचंदगुत्तं नियरज्जलुद्धं // 24 //