________________ 38: : नरभवदिटुंतोवनयमाला सिरिविजयप्पहसूरीरज्जे सिरिविणयविमलकविराया / सिरिवीरविमलसुगुरुसीलेण गयाइविमलेण // 141 / / भावार्थ:-हवे आ ग्रन्थनी संकलना करनार पोताना नाम साथे स्वगुरु परंपराने पण सूचवे छे // 141 // // इति नरभवदृष्टान्तोपनयमालायां चुल्लकनामप्रथमो दृष्टान्तः सम्पूर्णः // 1 //