________________ // 2 / / अथ पाशकनामा द्वितीयो दृष्टान्तः / / अत्थीहखेत्ते भरहाभिहाणे सोरट्टर? णयरी चणिक्का / वेयेंगदक्खो चणिनामविप्पो चणेसरी तस्स दिअस्स भज्जा / 11 भावार्थः-आ भरतक्षेत्रमा सौराष्ट्र (सोरठ) नामना देशमां चाणिक्य नामना नगरमां वेद अने वेदांगमां निपुण चणिक नामनो ब्राह्मण हतो ते ब्राह्मणनी चणेश्वरी नामनी एक स्त्री हती / / 1 / / पुत्तो पसूओ सुहगो य तीए गब्भत्थदाढापरिजुत्ततुंडो / आपुच्छिऊणं निययं कुटुंब विणिम्मियं तस्स चणिक्कनामं / 21 भावार्थ:-तेणीने गर्भमाथी भाग्यशाली दाढावालो एक पुत्र थयो, सम्पूर्ण कुटुंबने पूछीने तेनुं चाणिक्य नाम आप्यु // 2 // अहेगया तस्स निकेयणमि समागया णाणधरा मुणिंदा / दाढासरूवं जणएण पुट्ट होही नरिंदो भणइ मुणिदो // 3 // भावार्थ:-त्यारबाद एकवार ते ब्राह्मणने घेर ज्ञानवान् मुनि पधायाँ ते ब्राह्मणे पोताना पुत्रने गर्भमांधीज दाढ होवा- फल पूछतां ते एक राजा थशे ए प्रमाणे मुनिए कह्य // 3 // णिसम्म एवं वयणं मुणिस्स चितेइ चित्ते णरयाहिरज्ज / वियस्कइत्तेति सुयस्स दाढागोणीहिं घट्टा तुरियं च तत्थ 14 /