________________ 1 चुल्लक दृष्टांत : सेलुफलेहि पुण्णं थालं मंती दलेइ उवयाणं / हवइ निवो तह हट्ठो तुट्ठो विप्पच्छिबुद्धेहिं / / 137 / / * भावार्थ:-संत्रिशेलु नामना फलोथी भरेल थालने राजा पासे लावे छे, तेथी राजा ब्राह्मणना नेत्रो जाणी वधारे खुश थाय छे / / 137 / / सत्तयवाससयाई पालेत्ता रुद्दज्झाणपडिपुण्णो / अंधत्तमणुहवेत्ता सोलसवासाणि कूराणि // 138 // भावार्थ:-आ प्रमाणे ब्रह्मदत्तचक्रवत्ति रौद्रध्यानथी युक्तथइ सातसो (700) वर्ष राज्य करी छेल्ला सोलवर्ष अंधपणे दुःखदायो रीते वितावी / / 138 / उत्तंगो तत्तधण चक्कधरो बंभदत्तनरनाहो / पत्तो सत्तमपुढवि पावमई रुद्दपरिणामो // 139 // भावार्थ:-उन्नत्तकाय, सप्तधनुष्य देह प्रमाणवालो ते सातमीनरके रौद्रपरिणामना बलथी उत्पन्न थयो / / 139 // . इय पढमो दिलुतो चुल्लगनामा मए विणिदिट्ठो / नरभवलद्धट्टाए लिहिओ पवयणसमुद्दाओ / / 140 / / __ भावार्थ -आ प्रमाणे नरभवनी दुर्लभता जणाववा खातर दश दृष्टान्त पैको चुलग [भोजन] नामा प्रथम दृष्टान्त प्रवचन समुद्रथी लेइ भव्योना हितने माटे निदिशेल अने लखेल छे / / 140 / /