________________ : नरभवदिटुंतोवनयमाला भावार्थ:-तेटलामां एक भींत पाछल संताइते दुष्ट पामर अजापाले राजानी आंखो कांकराओ वती फोडी नांखी // 133 // चक्किभडेहिं गाढ बद्धो सो पामरो तया भणइ / तमणस्वउविम्पं जहत्थियं सम्ववित्तंतं // 134 // . भावार्थ:-ज्यारे चक्रवत्तिना सुभटोए तेने मजबुत बांधीं लीधो त्यारे ते पामरे आ •अनर्थना कारण तरीके ब्राह्मणने निर्देशि सघलो हतो लेवो वृत्तान्त कही संभलाव्यो / / 134 / / रुट्टण चक्किणा सो विप्पो विद्धंसिओ सवंसो य / अण्णे वि दिया पुरोहियपमुहा उम्मूलिया तत्थ य // 135 / / भावार्थ:-चक्रवत्तिए कापायमान थइने ते ब्राह्मणने तेना परिवार साथे मारी नांख्यो ने ते स्थले वसता बीजा पण पुरोहित विमेरे ब्राह्मणोनो नाशा कराव्यों // 135 // तहवि पुण पभूयकोवा चक्की भासेइ मंतिणं इत्थ / पइदिणमेगं थालं दियट्ठिीभरियमुवणेसु // 136 // भावार्थ:-छतां पण गुस्सो शांत न थवाथी चक्रवत्तिए मंत्रिने का के-प्रतिदिन. ब्राह्मणोना नेत्रोथी भरेलो एक थाल मारी पासे लाववो।१३६॥