________________ 1 चुल्लक दृष्टांत : : 35 कोई भागमां जाय छ ने त्यां एक भरवाड (रबारी) ने जुवे छे / / 129 / / निग्गोहपत्तयरं कक्करियाहि कयं सपच्छिदं / सव्वं नियवित्रतं तप्पुरओ जहत्थियं भणइ / / 130 // भावार्थः-वडमा पांदडाओमां जेणे कांकराओवती सेंकडो छिद्रो करी मूक्या छे तेवा ते निशानबाज रबारीनी आगल पोतानो सघलो वृत्तांत यथास्थित कही संभलाव्यो / / 130 // विप्पेण तेण तइया दव्वेण वसोकओ अजावालो। सिक्खाविओ य इस्थ पणासियव्वा य निबदिट्ठी // 131 / / भावार्थ:-ने द्रव्यवडे वश करी, ते रबारीने ब्राह्मणे शिखव्यू के आवीज रीते निशान ताकी राजानी आंखो. फोडी नांखवी // 131 // कंजरखंधारूढो सेणासहिओ व उन्भवियछत्ता / निग्गच्छइ पुरबहिया कोलाए जावया चक्की // 132 / / ... भावार्थ:-हाथी उपर बेसी छत्रने धारण करी, सेनासहित राजा ब्रह्मदत जेटलामां नगरथी बाहेर क्रीडामाटे नीकले छे / / 132 // कुड्डंतरट्टिएण य दुट्ठण य पामरेण लहु हत्थं / कक्करियाहिं जुगवं पणासियं चक्किदिद्धिजुगं / / 133 //