________________ : नरभवदिळूतोवनयमाला सव्वेहि परियहिं वारिज्जतो वि भणइ पुणं इत्थं / . दिट्ठोसि महाकिविणो भोअणमित्तंपि नो देइ // 126 / / भावार्थ:-तमाम नोकरचाकरो वार्या छतां पण ते ब्राह्मण कहेबा लाग्यो के-म आ एक महाकृपणने जोयो छे जं भोजनमात्र पण आपी शकतो नथी / / 126 // सव्वं तस्स कुटंबं रण्णा भुज्जावियं तहा घायं / कंदप्पदप्पपरबश-मह रयणीए तहा जायं / / 127 / / भावार्थ:-राजाए ब्राह्मणनी मागणी स्वीकारी सम्पूर्ण कुटुंब साथे जमाड्यो आ भोजनथी रात्रिम तेनुं सघलु कुटुंब कामविकारने वश थइ गयुं / 127 // अम्मापिउपुत्तपुत्तीसुसुरण्हुसाइयं लज्जप्पन्भटें / लोए दुगंछणिज्जं हिच्चा तं णिग्गओ विप्पो / / 128 // भावार्थ:-माता, पिता, पुत्र, पुत्री, श्वशुर, बहेन पुत्रवधु विगेरे तमाम कुटुंब जे लोकमां निंदवा लाग्युं हतुं ने लज्जाभ्रष्ट थयु हतुं तेने छोडी ब्राह्मण चाल्यो गयो / / 128 / / / नियदोसमयाणंतो रणोवरि दोसपोसमुच्चंतो / कत्थवि णयरस्स बहिं पस्सइ एगं अजावालं // 129 / / भावार्थ:-पोताना दोषने नहिं जाणतो ने सघला दोषोना बोजाने राजापर मुकतो नगरनी बहारना