________________ 1 चुल्लक दृष्टांत : : 29 इय भणिओ सो तीए चक्किणं विष्णवेइ तह चेव / / राया भणइ किमेयं अइतुच्छं मग्गियं तुमए / / 108 / / भावार्थ:-स्त्रीए एम कह्याबाद ते ब्राह्मण चक्रवर्तीने तेज मुजव विनववा लाग्यो, चक्रवर्तीए पण उदारताथी का के-हे ब्राह्मण ! ते आवी तुच्छ मांगणी केम करी? / / 108 // मइ तुर्दू मग्गिज्जइ रज्जं चलधवलचामराडोवं / विप्पकुलुप्पण्णाणं किमम्ह रज्जेण सो भणइ // 109 // भावार्थ:-ज्यारे हुं तुष्ट थयो छु त्यारे चंचल सफेद चामरना आडंबरवालुं राज्य तारे मागवं जोइए. ब्राह्मणे का-विप्रकुलमां उत्पन्न थयेला अमोने राज्यनी कशी जरुर नथी / / 909 / / पढम नियगेहे च्चिय तो रण्णा भोयणं सदीणारं / दिण्णं तओ कमेणं अंतेउरमाइलोएण // 110 // भावार्थ:-प्रथम राजाएज पोताने घेर (रसोडे ) भोजन करावी दक्षिणा बदल सोनामहोर आपी. त्यारबाद अंत:पुर विगेरे लोकोए पण एज क्रमथी राजानी आज्ञाने मान आप्युं / / 110 / / बत्तीससहस्सनरवईण बहुयाओ कुडंबकोडीओ। तत्य णिवसंति पयरे तप्पज्जतं न सो लहइ // 111 // भावार्थ:-बत्रीस हजार राजाओगे घणाज क्रोड कुटुंबो ते नगरमा वसे छे तेथी ते ब्राह्मण तेनो पार पामतोज नथी // 111 / /