________________ 1 चुल्लक दृष्टांत : : 27 अण्ण भणंति जाहे न लहइ सो बसणंपि चक्किस्स / तो जिष्णुवाहणाओ वंसे दोहंमि विलसेइ / / 10 / / भावार्थ:-बीजा आचार्योनुं एम कहेवं छे के ज्यारे ते ब्राह्मण कोइपण रीते चक्रवर्तीनुं दर्शन करवा न पाम्यो त्यारे वांस उपर जुना जोडाओनी एक मोटी हारडी लटकावी // 10 // बहिनिग्गमसमए सो रण्णो जे चिधगाहगा तेसि / मिलिओ निर्याचधकरो उवाणहो उग्धविग्घेणं / / 1011: भावार्थ:-अने राजाना बहार नीकलवा वखते पोताना चिह्नरूप जोडानी हारडीने उठावी, जे तरफ राज्य चिह्न छडी विगेरे उठावनाराओ हता तेमां मली गयो / / 101 // निज्झाइओ य रण्णा किमियं चिधति चितियं रण्णा / पुट्ठो य तेण भणियं तुह सेवाकालमाण मिणं // 102 // : भावार्थ:-राजानी दृष्टि ब्राह्मण उपर पडी ने विचारवा लाग्यो के आते चिह्न शानुं छे ! पूछतां ब्राह्मणे जणाव्यु के तारी सेवाना वखतनुं आ प्रमाण छे // 102 // . एत्तिय उवाहणाओ घट्ठाओ तं निसेवमाणस्स / न य देसणमुवलद्धं कहंचि तुह देवचलणाणं // 103 // __ भावार्थः-तारी सेवा करता करतां आटला जोडाओ घसाइ गया छतां पण कोइ रीते तारा